गैर इरादतन हत्या में दोषी माँ के साथ दो मासूम बच्चे भी बंद रहेंगे काल कोठरी
करीब छह वर्ष पूर्व आम की पत्ती तोड़ने के विवाद में गयी थी अधेड़ की जान
सुलतानपुर। गैर इरादतन हत्या में दोषी ठहराई गयी माँ समेत चार दोषियों को सात वर्ष के कारावास एवं अर्थदण्ड की सजा सुनाई गयी है। जिनका सजायाबी वारंट बनाते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय पूनम सिंह की अदालत ने उन्हें सजा काटने के लिए जेल भेजने का आदेश दिया, लेकिन दोषी ठहराई गयी माँ के साथ दो बेकसूर मासूम बच्चे भी जेल की काल कोठरी में बंद रहने को मजबूर है,जिन्हे उनकी माँ के साथ जेल में रखने एवं नियमानुसार उनकी देखभाल की व्यवस्था कराने के लिए जेल प्रशासन को कोर्ट ने आदेशित किया है।मामला लम्भुआ थाना क्षेत्र के मदनपुर पनियार गांव से जुड़ा है। जहां के रहने वाले सैय्यद हैदर अली ने आठ फरवरी 2015 को मुकदमा दर्ज कराया। आरोप के मुताबिक गांव के ही आरोपीगण मो. हसन उसके पुत्र आलमीन पत्नी फातिमा बेगम एवं बहू तहजीब ने आम की पत्ती तोड़ने के विवाद को लेकर जान से मार डालने की नीयत से वादी के पिता अनवर अली पर हमला बोल दिया था। हमले में आई चोटों की वजह से चोटहिल अनवर अली की मृत्यु हो गयी। इस मामले में आरोपियों के विरूद्ध हत्या सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ और विवेचक ने तफ्तीश पूरी कर चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल की। प्रकरण का ट्रायल एफटीसी द्वितीय की अदालत मे चला। इस दौरान बचाव पक्ष ने अपने साक्ष्यों एवं तर्कों को पेश करते हुए आरोपियों को बेकसूर बताया। वहीं अभियोजन पक्ष से पैरवी कर रहे निजी वादी के अधिवक्ता शिवशंकर सिंह एवं शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार दूबे ने नौ गवाहों को परीक्षित कराते हुए आरोपियों को ही घटना का जिम्मेदार ठहराया। उभय पक्षों को सुनने के पश्चात तीन दिन पूर्व एफटीसी द्वितीय पूनम सिंह की अदालत ने आरोपियों को भादवि की धारा 304 के भाग दो समेत अन्य धाराओं में दोषी करार दिया एवं सजा के बिन्दु पर सुनवाई के लिए पांच दिसम्बर की तारीख तय की थी। शनिवार को चारों दोषियों की सजा के बिन्दु पर सुनवाई चली। जिसके पश्चात अदालत ने उन्हें सात-सात वर्ष के कारावास एवं 11-11 हजार रूपए अर्थदंड की सजा सुनाई। मामले में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि दोषी ठहराई गयी तहजीब पत्नी आलमीन के दो बच्चे भी हैं। जिनमें एक मासूम बच्ची की उम्र करीब चार वर्ष एवं उसके छोटे भाई की उम्र करीब तीन वर्ष है। इन बच्चों की देखभाल करने वाला घर में कोई करीबी भी नहीं रह गया गया है, जिनके सहारे उन्हें छोड़ा जा सके। नतीजतन माँ के साथ इन बच्चों को भी जेल की चार दिवारों में कैद होना पड़ रहा है। जिसके चलते उनके भविष्य को भी अंधकार में माना जा रहा है, फिलहाल अदालत ने जेल प्रशासन को इन बच्चों की देखरेख व नियमानुसार व्यवस्था देने के लिए आदेशित किया है।
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