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राष्ट्रीय एकता स्थापित करने का माध्यम है "भाषा"-डॉ मुरली मनोहर सिंह


सुल्तानपुर । डायट के तत्वावधान में  राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित चार दिवसीय वेबिनार के दूसरे दिन मुख्य वक्ता ने अपने विचार रखे। *'नई शिक्षा नीति में बहुभाषावाद और शिक्षा माध्यम के रूप में भाषा'*  विषय पर संबोधित करते हुए के गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में असिस्टेंट प्रोफेसरक्ष पद पर कार्यरत डॉ मुरली मनोहर सिंह ने कहा कि "भाषा" को राष्ट्रीय एकता स्थापित करने का माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षण से विद्यार्थी आरंभिक अवधारणाओं को बेहतर तरीके से समझता है। स्कूल की भाषा और घर की भाषा के बीच में अंतर न होने से सीखने की प्रक्रिया रूचि पूर्ण और मनोरंजक हो जाती है । उन्होंने कहा कि त्रिभाषा सूत्र के फार्मूले को अपनाकर हम पूरे देश में सभी भाषा भाषियों के बीच भारतीय होने की भावना का संचार कर सकते हैं। एससीईआरटी, झारखंड में शोध प्रवक्ता पद पर कार्यरत विनय कुमार सिंह ने  कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं , कला एवं संस्कृति के संरक्षण को विशेष महत्व दिया गया है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति स्थानीय कुशल हस्तशिल्प कलाकारों को विद्यालय से जोड़ने की वकालत करती है। भाषा, कला और संस्कृति भारत की अनूठी विरासत है जिसके माध्यम से हम पुनः विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर हो सकते हैं। डायट प्रवक्ता दिलीप कुमार शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वर्णित ऑनलाइन शिक्षा और प्रौद्योगिकी के समेकन के माध्यम से शिक्षा के संभाव्य स्वरूप पर विस्तार से चर्चा की।कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरि ओम त्रिपाठी और विजय कुमार ने किया। तकनीकी सहयोग शरद चतुर्वेदी और प्रसारण सहयोग मनीष कुमार तिवारी ने किया।

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