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कोरोना वैक्सीन पर दुनिया की नजर


नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने को लेकर दुनियाभर के देशों के बीच रेस जारी है। भले ही कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर अमेरिका, रूस से लेकर चीन तक में शोध और ट्रायल के काम तेजी से चल रहे हैं, मगर असल सवाल अब भी वही है कि आखिर दुनिया को यह वैक्सीन मिलेगी कब? पिछले सप्ताह, एक टीवी इंटरव्यू के दौरान अमेरिकी विशेषज्ञ एंथनी फौसी ने कहा था कि उन्हें यकीन है कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में करोना की वैक्सीन आ जानी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि एक साल के भीतर दुनिया को वापस सामान्य स्थिति में लाने के लिए आधी प्रभावी वैक्सीन भी प्रयाप्त होगी। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिशन ने मंगलवार को इस बात का ऐलान किया कि देश ने कोरोना वायरस की वादानुसार वैक्सीन तक अपनी पहुंच बना ली है। उन्होंने कहा कि देश इसका निर्माण करेगा और पूरी आबादी को मुफ्त खुराक दी जाएगी। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिशन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने स्वीडिश-ब्रिटिश फार्मास्यूटिकल कंपनी ऑस्ट्राजेनेका के साथ डील की है ताकि वे जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर जिस दवा को तैयार कर रहे हैं, उसे हासिल की जा सके। उन्होंने कहा, “अगर वैक्सीन सफल रहती है तो हम इसे उत्साहपूर्वक बनाएंगे, आपूर्ति करेंगे और इसे ढाई करोड़ ऑस्ट्रेलियाई लोगों तक मुफ्त पहुंचाएंगे अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक भारतीयों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन मिल सकेगी। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एस्ट्राजेनका कंपनी के सहयोग से तैयार वैक्सीन का पहले और दूसरे चरण का ट्रायल सफल रहा है। अब इस वैक्सीन का तीसरे और अंतिम चरण का ह्यूमन ट्रायल (एडवांस चरण ) शुरू हो चुका है। महाराष्ट्र के पुणे में स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया भी इस वैक्सीन का साझेदार जो इसका उत्पादन करेगी। अगर सरकार इन्हें भी मंजूरी दे देती है तो यह भी प्रयोग के लिए जल्द ही उत्पादित होगा।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया भर के देशों को कोविड-19 वैक्सीन के लिए आसान और न्यायसंगत पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से एक वैश्विक समझौते का आह्वान किया है। कोवैक्स वैश्विक टीके की सुविधा अमीर देशों और गैर-लाभकारी संस्थाओं से वैक्सीन विकसित करने और इसे दुनिया भर में समान रूप से वितरित करने के लिए धन मुहैया कराएगी। 

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