अकाल मौत मर गए जिले के सैकड़ों लोग। बंद न होता ट्रामा सेंटर तो उन्हें जा सकता था बचाया।
जनपद में पांच वर्ष पूर्व बने ट्रामा सेंटर में अभी तक दुर्घटनाग्रस्त गंभीर मरीजों का इलाज चालू नही हुआ है। जनपद में आये दिन एक्सीडेंट, मार पीट, गोली मारने की घटनाएं होती रहती हैं जिसमें गंभीर रूप से घायल मरीजों का इलाज जिला अस्पताल में नहीं हो पाता और उन मरीजों को इमरजेन्सी में लखनऊ के ट्रामा सेंटर में ले जाना पड़ता है। इसके परिणाम स्वरूप अक्सर गंभीर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। अगर यह ट्रामा सेंटर पांच साल पहले ही चालू हो जाता तो अब तक सैकड़ों मरीजों की जान बचायी जा सकती थी। सैकड़ों परिवार के दीपक बुझ गये इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।ट्रामा सेंटर चालू करने के लिए सुलतानपुर की अनेक संस्थाएँ समय समय पर मांग करती चली आ रही हैं। मीडिया भी बीच बीच में ट्रामा सेंटर के मुद्दे को उठाती रही है। पिछले एक साल से मानवाधिकार कार्यकर्ता अभिषेक सिंह निरंतर पत्राचार कर प्रयास कर रहे हैं पर शासन प्रशासन उदासीन बना हुआ है। ट्रामा सेंटर को जल्द शुरू करने के मुद्दे पर जहाँ सत्ताधारी स्थानीय जन प्रतिनिधि भी मौन साधे हैं वहीँ अफसोस की बात है कि विपक्ष के नेता भी स्थानीय जन समस्याओं पर मुखर नहीं है। ह्युमन राइट्स कंजर्वेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी पी गुप्ता ने आगे बताया कि कि वे इस मुद्दे को करोड़ो लोगों के अन्तर्राष्ट्रीय फोरम चेंज डाट ओआरजी पर पिटीशन दर्ज करायेंगे ताकि विश्व समुदाय से भी ट्रामा सेंटर को जल्द शुरू करने के प्रयास में समर्थन लिया जा सके।
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