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हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में छात्र कवियों ने प्रस्तुत की रचनाएं



‘‘बेटियाँ नहीं बच पाई तो जग क्षार-क्षार हो जायेगा’
सुलतानपुर, 14 सितम्बर। सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानन्दनगर, सुलतानपुर परिसर आज हिन्दी दिवस पर बाल कवियांे की कविताओं से गुंजमान हो उठा। वहीं हिन्दी विद्वानों ने अपने ही देश में हिन्दी की उपेक्षा पर असंतोष व्यक्त किया। 
हिन्दी दिवस पर विद्यालय के वन्दना सभा में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. ओंकार नाथ द्विवेदी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम सिंह ने की। इस अवसर पर अतिथि सम्मान के बाद बाल कवियों ने अपनी रचनाओं से छात्र-छात्राओं को भाव विभोर कर दिया। इण्टर की छात्रा कवित्री शाम्भवी मिश्रा ने अपनी कविता के माध्यम से बेटियों का गुणगान किया और कहा ‘‘बेटियाँ नहीं बच पाई तो जग क्षार-क्षार हो जायेगा। कवि दरबार का संचालन कर रहे हाईस्कूल के कवि छात्र रजनीश शुक्ल ने आजादी से आज तक देष की दुर्दशा पर अपनी रचना पढ़ते हुए कहा ‘‘लोकतंत्र पर शोकतंत्र का गहरा कसा शिकंजा था, देश की बर्बादी का कारण केवल हाथ का पंजा था’’ इसी तरह से कक्षा नौ की कवित्री छात्रा रिया सिंह ने वीर रस की रंचना पढ़ते हुए कहा ‘‘किसके लहू में इतना दम है जो कश्मीर हमसे मांगे’’ हाईस्कूल की कवित्री छात्रा प्रज्ञा तिवारी ने कहा ‘‘वंशज है शेरों के दहाडते हैं काल जैसे पड़ी हुई लाश का शिकार करते नहीं’’ हास्य कविता के लिए विद्यालय में मशहूर हाईस्कूल के कवि छात्र शिवांश दूबे ने राजनीति पर व्यंग करते हुए कहा ‘‘सारे मोदी के विरोधियों में मेल हो गया, उसके बाद भी मम्मी का पप्पू फेल हो गया’’। 
कार्यक्रम में डाॅ ओंकार नाथ द्विवेदी ने कहा कि हिन्दी अपने देश में ही उपेक्षित हैं। यह दुर्भाग्य ही है कि आजादी के इतने लम्बे समय के बाद भी आज हम अपने देश के सर्वोच्च न्यायालय में अपनी भाषा में अपील दायर नहीं कर सकते हैं। आज भी हम अंग्रेजी के गुलाम हैं। उन्होंने कहा कि आज हम अपने घरों से ही हिन्दी की उपेक्षा कर रहे हैं। यह अत्यन्त चिन्ता का विषय है। इसके पहले आयोजन के सूत्रधार हिन्दी आचार्य रवीन्द्र तिवारी ने अतिथि परिचय कराते हुए हिन्दी के महत्व पर प्रकाश डाला और वरिष्ठ आचार्य सूर्यप्रताप सिंह, राज नारायण शर्मा अतिथि सम्मान किया। आचार्य रवीन्द्र तिवारी ने बताया कि विद्यालय में हिन्दी पखवारा के तहत लेख, निबन्ध व भाषण प्रतियोगिताओं का भी आयोजन कर विजेताओं को पुरस्कृत किया गया है। 

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