अयोध्या दीपोत्सव में एक बार फिर से रचेगा इतिहास
अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव कई मायनों में ऐतिहासिक होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यक्रम को और भव्य बनाने की तैयारियां जोरों शोरों से की जा रही हैं।इस बार दीपोत्सव-2025 में दो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए जाएंगे। पहला रिकॉर्ड 26 लाख 11 हजार 101 दीपों के प्रज्वलन से बनेगा। जबकि दूसरा रिकॉर्ड सरयू आरती में 2100 दीपदान के जरिए स्थापित किया जाएगा। सरयू आरती में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं संस्कृत विद्यालयों के छात्र और बड़ी संख्या में वालंटियर्स शामिल रहेंगे।दीपोत्सव में इस बार कई नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं।शानदार ड्रोन शो में पिछले साल के मुकाबले दोगुने यानी 1100 ड्रोन आसमान में 10 आकृतियां उकेरेंगे। भीड़ प्रबंधन के लिए इस बार तकनीक का सहारा लिया गया है।AI कैमरों की मदद से भीड़ का हेड काउंट (गिनती) किया जाएगा।ताकि कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके।इसके साथ ही स्थानीय उत्पादों की भव्य प्रदर्शनी भी आयोजित होगी।जिसमें स्वयं सहायता समूह ओडीओपी और संस्कृति विभाग की ओर से अयोध्या जनपद के पारंपरिक उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा।दीपोत्सव को भव्य और दिव्य बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में पर्यटन एवं संस्कृत विभाग ने अपनी कमर कस ली है। रोजाना अलग-अलग बैठकों के बाद कई अहम निर्णय लिए गए हैं।इन्हीं फैसलों में इस बार दीपोत्सव में दो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने का फैसला भी शामिल है।दीपोत्सव का ये नौवा संस्करण है। उत्तर प्रदेश सरकार हर साल अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़कर नए रिकॉर्ड बनाती है और हर साल गिनीज बुक में अपना नया रिकॉर्ड दर्ज कराती है। आमतौर पर पिछली बार की अपेक्षा अधिक दिए हैं जलाकर हर साल रिकॉर्ड बनता था पर इस बार दीप जलाने के साथ-साथ आरती के दौरान 2100 दियों का दीपदान करके भी एक नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है।इस वर्ष दीपोत्सव के अंतर्गत रामायण के सातों काण्डों पर आधारित भव्य प्रदर्शनी तथा अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में बालकाण्ड से उत्तर काण्ड तक के सभी प्रसंगों को आकर्षक झांकियों, चित्रों, डिजिटल डिस्प्ले और ऑडियो-विजुअल माध्यमों से प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन, मर्यादा और भारतीय संस्कृति के शाश्वत मूल्य जन-जन तक पहुँच सकें।दीपोत्सव में अंतरराष्ट्रीय रामलीला विशेष आकर्षण का केंद्र होगी, जिसमें रूस, नेपाल, थाईलैंड, श्रीलंका, इंडोनेशिया आदि देशों के कलाकार अपने-अपने देश की रामकथाओं का भव्य मंचन करेंगे। साथ ही भारत के विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार - जैसे श्रीखोल और शाही जात्रा (पश्चिम बंगाल), छऊ नृत्य (झारखण्ड), ढोलु कुनीथा (कर्नाटक), तलवार रास (गुजरात), घूमर-चरी (राजस्थान), झिझिया (बिहार), कावड़ी व कड़गम (तमिलनाडु) तथा बोनालू (आंध्र प्रदेश) - अपनी पारंपरिक प्रस्तुतियों से इस सांस्कृतिक उत्सव को जीवंत करेंगे।यह समग्र आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल मार्गदर्शन एवं संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के प्रेरक नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है। दोनों ही जनप्रतिनिधियों की दूरदर्शी सोच और सांस्कृतिक प्रतिबद्धता के परिणाम स्वरूप अयोध्या आज विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में स्थापित हो रही है। यह दीपोत्सव न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक बनेगा, बल्कि “विकसित भारत” के सांस्कृतिक आत्मविश्वास और वैश्विक एकता का भी प्रतीक होगा।
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