ब्रेकिंग न्यूज

डिजिटल अश्लीलता पर हाई कोर्ट सख्त , पुलिस को सख्ती बरतने के आदेश


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आरोपी की जमानत खारिज करते हुए डिजिटल मीडिया के अपराधीकरण पर चिंता जाहिर की है।कोर्ट ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बढ़ते साइबर अपराधों और उनके सामाजिक प्रभाव को गंभीर और चिंताजनक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि डिजिटल तकनीक अब अपराध का नया चेहरा बन चुकी है और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही अश्लील तस्वीरें और वीडियो किसी की भी जिंदगी तबाह कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति अजय भनोट ने यह टिप्पणी उस समय की जब उन्होंने वाट्सएप पर एक महिला की अश्लील तस्वीरें प्रसारित करने के आरोपी रामदेव की जमानत अर्जी खारिज की। आरोपी के खिलाफ प्रयागराज के उतरांव थाना में BNS की धाराएं 74, 352, 351(2), 64(1) और आईटी एक्ट की धारा 67A के तहत मामला दर्ज है। रामदेव को 9 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में है।उसकी जमानत याचिका को 23 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका था।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपी के कब्जे से कुछ तस्वीरें बरामद हुई हैं। जिनकी फोरेंसिक जांच अभी लंबित है। पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों में आरोपी की संभावित संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती।इसके साथ ही कोर्ट को निर्देश भी दिए जिसमें जिला जज को कहा गया कि वे हर हफ्ते मुकदमे की प्रगति रिपोर्ट लें।यह पहली बार नहीं है जब न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर सख्त रुख अपनाया हो। इससे पहले  भी उन्होंने कहा था कि इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट का प्रसार समाज के लिए अपमानजनक और विध्वंसक है। उन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस को भी आगाह किया था कि ऐसे मामलों की जांच बेहद कमजोर होती है और इसमें दक्षता व गंभीरता की भारी कमी देखी जाती है। उन्होंने पुलिस से अपेक्षा जताई कि ऐसे संवेदनशील मामलों में तकनीकी कौशल और संवेदनशील दृष्टिकोण दोनों जरूरी हैं।

कोई टिप्पणी नहीं