गोसेवा आयोग के अध्यक्ष ने अयोध्या मण्डल की समीक्षा की
लखनऊ उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग ने मंगलवार को अयोध्या मंडल में एक महत्वपूर्ण मंडल स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया । यह बैठक आयोग द्वारा लिए गए निर्णायक निर्णयों की जमीनी क्रियान्वयन प्रक्रिया को तेज़ करने और गोसेवा को जनांदोलन बनाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास के रूप में सामने आई।इस बैठक में उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता उपाध्यक्ष महेश शुक्ल एवं अतुल सिंह जीतथा राजेश सिंह सेंगर की उपस्थिति रही। बैठक में अयोध्या मंडल के समस्त अधिकारियों ने सहभागिता कर आयोग को गोशालाओं की पारदर्शिता, जवाबदेही, गोवंश स्वास्थ्य सेवा की मजबूती और प्राकृतिक खेती के प्रसार हेतु पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।बैठक में निर्णय लिया गया कि हरे चारे की अनिवार्यता और वास्तविक गो गणना का पारदर्शी सत्यापन सुनिश्चित किया जाएगा। गोमूत्र एवं गोबर आधारित स्थानीय प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, बायोगैस प्लांट का विस्तार तथा किसानों को गोपालन हेतु प्रेरित करने के अभियान को तेज़ किया जाएगा। मॉडल किसानों के नवाचारों को अपनाने हेतु स्थलीय यात्राएं कराई जाएंगी, जिससे स्थानीय स्तर पर जैविक/प्राकृतिक कृषि को बल मिले। पंचगव्य उत्पादों एवं जैविक/ प्राकृतिक खेती से जुड़े कार्यों में स्थानीय युवाओं, महिला स्वयं सहायता समूहों/जागरूक जनमानस की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।वर्तमान में प्रदेश की लगभग 7713 गोशालाओं में 12 लाख 58 हजार गोवंश संरक्षित हैं। इन गोशालाओं को प्रशिक्षण केंद्रों के रूप में विकसित कर प्राकृतिक कृषि, बायो ऊर्जा एवं पंचगव्य उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षण और रोजगार मिल सके। मंडल स्तरीय गो आधारित प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। चारागाह भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराकर उसे गोवंश के लिए चारा उत्पादन हेतु उपयोग में लाया जाएगा। आईजीएफआरआई झांसी के माध्यम से बहुवर्षीय और मौसमी चारे का उत्पादन और प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। गोशालाओं में छायादार वृक्षों (बरगद, नीम, पीपल, सहजन आदि) का वृक्षारोपण व्यापक रूप से किया जाएगा। सीमावर्ती जनपदों में गो-तस्करी रोकने हेतु एडीजी स्तर और जनपद स्तर पर एएसपी स्तर के अधिकारियों को नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा। सभी संबंधित विभागों के समन्वय से गोशालाओं को स्वावलंबी बनाया जाएगा। प्रत्येक गोशाला में वृहद वृक्षारोपण की कार्ययोजना बनाई जाएगी।यह भी प्रस्तावित किया गया कि समस्त संबंधित विभागों के सहयोग से गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना और ग्राम आधारित सतत विकास मॉडल खड़ा करना है। उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग संकल्पबद्ध है कि गोसेवा केवल दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक जागरण का माध्यम बने। यह आंदोलन अब और तेज होगा, नहीं-यह हर गांव, हर किसान और हर युवा/महिला स्वयं सहायता समूहों की साझेदारी से नई दिशा पायेगा।
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