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अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के साथ चमकेगा श्रीराम का मोक्ष स्थल धोपाप धाम


सुलतानपुर पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका संजय गांधी के निर्देश पर प्रतिनिधि रणजीत कुमार ने पौराणिक धार्मिक स्थल 'धोपाप' धाम के कायाकल्प करने में पूरी ताकत झोंक दी है। आपको बता दे राम की नगरी अयोध्या धाम में 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन रामायण कालीन पौराणिक स्थल धोपाप धाम को सजाकर भव्य व दिव्य दीपोत्सव मनाने की तैयारी की जा रही है।22 जनवरी को पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका संजय गांधी भी कार्यक्रम में शामिल होने वाली है।धोपाप धाम मन्दिर परिसर को सजाने व संवारने में 250 मजदूर व सफाई कर्मी दिन-रात काम कर रहे हैं।इसके अलावा गोमती तट की जमीन को समतल करने के लिए 2 जेसीबी ,5 ट्रैक्टर, रोलर तथा 15 विद्युत पोल लगाने के लिए हाइड्रा मशीन का उपयोग किया जा हैं।

सांसद मीडिया प्रभारी विजय सिंह रघुवंशी ने जानकारी दी कि प्रतिनिधि रणजीत कुमार लगातार धोपाप धाम में कैंप कर रामायण कालीन पौराणिक स्थल धोपाप धाम को दुल्हन की तरह सजाने-संवारने में कोई कोर कसर नहीं बाकी लगा रहे हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए हनुमान मंदिर व घाट को मुख्य मन्दिर से जोड़ने के लिए सीसी रोड बनाई जा रही है।प्रतिनिधि रणजीत कुमार मुख्य मन्दिर परिसर में 15 किलोवाट का जेनरेटर व श्रद्धालुओं के पानी की व्यवस्था के लिए 2 वाटर कूलर व जगह-जगह टोटी लगाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित कर रहे हैं।सुरक्षा की दृष्टिगत गोमती नदी के पुल, हनुमान मंदिर से मुख्य मन्दिर परिसर तक 15 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं।पूरे मन्दिर परिसर की दीवालों को रामायण काल के चित्रों से सुसज्जित किया जा रहा है।यही नहीं धोपाप धाम में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था के लिए चार हाईमास्ट लाइटें गोमती नदी पुल, रामघाट, हनुमान मंदिर व मुख्य मन्दिर परिसर में लगाई जा रही है। वाराणसी हाई-वे से व सुल्तानपुर से पौराणिक स्थल धोपाप धाम आने -जाने वालों को कोई दिक्कत न हो इसके लिए एनएचएआई द्वारा डायरेक्शन साइन बोर्ड भी लगाया जा रहा है।

हाई-वे से धोपाप धाम जाने वाले मार्ग पर स्थित फोर लेन की दीवालों पर रामायण कालीन चित्रकला से सुसज्जित किए जाने की कवायत भी चल रही है।अयोध्या धाम से 80 किमी.दूर स्थित धोपाप धाम राम के पुत्र कुश की बसाई नगरी कुशभवनपुर (सुल्तानपुर) की तहसील लंभुआ से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है।मान्यता है त्रेतायुग में लंकापति रावण के वध के बाद ब्रह्महत्या से मुक्ति के लिए भगवान राम के कुलगुरु ने ऋषियों-मुनियों के साथ उपाय खोजा। जिसमें ऋषियों की सलाह पर एक पत्ते पर काला कौआ नदी में तैराया गया।आदि गंगा गोमती के धोपाप धाम के रामघाट पर पहुँचकर कौआ सफेद हो गया था। जिससे इस स्थान को भगवान श्रीराम के स्नान के लिए उपयुक्त माना गया। भगवान राम ने इस स्थान पर स्नान करके ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी।तभी से इस स्थान का नाम धोपाप पड़ गया। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में गंगा दशहरा के पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पापों से मुक्ति की चाह में धोपाप में डुबकी लगाने आते हैं।नदी के एक तट पर दो सौ फुट ऊँचाई पर स्थित श्री राम जानकी मंदिर इसकी महत्ता को प्रमाणित करता है।जनश्रुतियों के अनुसार मंदिर के ध्वंसावशेषों पर ढेमा की रानी स्वरूप कुँवरि ने यह निर्माण कराया था।अंदर  राम, जानकी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न सहित सजे राम दरबार के साथ राधा-कृष्ण की भी मूर्ति स्थापित है। गर्भगृह के दरवाजे के दोनों तरफ हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है।उत्तर पूर्वी कोने पर बने कक्ष में शिव दरबार है। दुर्लभ स्फटिक पत्थर के शिवलिंग के अलावा नंदी व गणेश की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है।

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