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600 से अधिक मरीजों को लगाया डुप्लीकेट पेसमेकर, ऐसे हुआ खुलासा


भगवान के रूप कहे जाने वाले डॉक्टर ने सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में गरीबों के साथ ऐसा खेल खेला जिसमें उसे केवल ऐशोआराम और पैसा कमाने की हवस में इस कद्र डूबा दिया कि उसको गरीबों की जान की परवाह भी ना रही।विदेश घूमना उसका शौक था।जापान उसके बेटे के जन्मदिन मनाने की जगह थी लेकिन वो पैसो के नशे में इतना चूर हो गया कि गरीबों का माल खींचने में उसको कोई गुरेज ना था। वर्षों से चल रहे इस खेल के खिलाड़ी और दिल के डॉक्टर समीर सर्राफ ने गरीबों के दिल पैसों के खातिर चीर दिये।यूनिवर्सिटी में करीब 600 मरीजों को नकली पेसमेकर लगाए गए जिसमें 200 से अधिक मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया।पुलिस की जांच में इसका खुलासा हुआ है।सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ.समीर सर्राफ ने मरीजों को नकली पेसमेक एसजीपीजीआई की तय कीमत से अधिक कई गुना रेट पर मरीजों को लगाया था। जब इसकी शिकायत एक मरीज ने संस्थान के प्रशासन से की तो सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक जांच कमेटी गठित की थी। जांच कमेटी ने भ्रष्टाचार पाया और तय कीमत से 9 गुना अधिक कीमत वसूलने की अनियमितताएं पाई थी। इसके बाद सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक्सपर्ट की राज्य स्तरीय एक बड़ी जांच टीम गठित कर दी थी और सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलसचिव सुरेश चंद शर्मा ने तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. आदेश कुमार को पत्र लिखकर कहा गया था कि यह मामला अस्पताल से जुड़ा हुआ है।तब तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक ने पुलिस को 24 दिसंबर 2022 को स्पीड पोस्ट से पत्र भेजा था। जिसकी जांच तत्कालीन पीजीआई पुलिस चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक के.के. यादव के द्वारा करने के बाद मामला दर्ज किया था। इसमें आरोप था कि सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कैथ लैब का एक से डेढ़ साल का सामान उपलब्ध होने के बावजूद यहा तैनात डॉ. समीर सर्राफ एवं संलिप्त अन्य लोगों ने वर्ष 2019 में करीब एक करोड़ मूल्य की अनावश्यक चीजें खरीदीं। इसमें लाखों रुपये की धांधली हुई। सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कई स्तर पर जांच के बाद इस धांधली की पुष्टि के बाद पेमेंट भी रोका था।यह भी आरोप लगाया गया है कि डॉ. समीर सर्राफ ने कई पीड़ित मरीजों से धोखाधड़ी कर गलत पेसमेकर लगाया और अनुचित तरीके से अधिक मूल्य वसूला है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत भर्ती हुए कुछ मरीजों से भी नाजायज वसूली की गई है।तहरीर में यह भी आरोप है कि डॉक्टर समीर ने सपरिवार नियम विरुद्ध कई अनधिकृत विदेश यात्राएं भी कीं। जिनकी स्पॉन्सर्ड वह कंपनियां थीं जिनसे अनुपयोगी सामान की सप्लाई ली गई थी। तत्कालीन थाना प्रभारी मोहम्मद तारिक ने मामला दर्ज कर जांच क्षेत्राधिकारी कार्यालय को सौंपी थी। क्षेत्राधिकारी नागेंद्र चौबे बड़ी ही गहनता जांच को आगे बढ़ाया जांच में बड़ा भ्रष्टाचार पाया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग डीजीएमए से परमिशन लेने के बाद डॉक्टर समीर सर्राफ को गिरफ्तार किया है।इटावा जिले की सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्डियोलॉजी विभाग में तैनात डॉ.समीर सर्राफ को पेसमेकर घोटाले में गहन जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है।हृदयरोगियों को फर्जी पेसमेकर लगा कर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले डॉ समीर सर्राफ को पेसमेकर घोटाले में गिरफ्तार करने के पीछे ऐसा कहा गया है कि उन्होंने सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के हृदय रोगी मरीजों को सस्ती दर के पेसमेकर लगाकर अधिक रकम की वसूली की है। जिसकी जांच शासन स्तर पर शुरू की गई थी।इसके बाद में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आदेश कुमार ने सैफई थाने में मुकदमा दर्ज कराया।जांच के दौरान यह बात भी सामने आई है कि कई हृदय रोगी मरीजों की पेसमेकर लगाए जाने के बाद मौत भी हो गई है इसके बाद डॉक्टर समीर सर्राफ की भूमिका को संदिग्ध माना गया है।ऐमआरआई पेसमेकर और नॉन ऐमआरआई पेसमेकर दो तरह के होते हैं जो मरीजों के दिल की धड़कन को बढ़ाने के लिये प्रत्यारोपित किये जाते है लेकिन समीर सर्राफ ने मरीजों के दिलों की धड़कनों को सेफ करने के लिये एमआरआई पेसमेकर का स्टीकर लगाकर घटिया क्वालिटी के नॉन एमआईआर पेसमेकर लगाकर लाखों के व्यारे न्यारे कर लिये और मरीजों को उनकी जान बचाने के लाले पड़ गये।

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