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मानव अधिकार संरक्षण ने किया चिकित्सा व्यवस्था में जल्द सुधार करने की मांग


करोड़ों की लागत से बने ट्रामा सेंटर व बिरसिंहपुर हॉस्पिटल में व्यवस्था न होने व जिला हॉस्पिटल में मेडिकोलीगल बंद होने से पीड़ितों को हो रही है भारी कठिनाई

सुलतानपुर जिले में चिकित्सा क्षेत्र में कमी के चलते इलाके की जनता को हो रही भारी परेशानी को देखते हुए मानव अधिकार संरक्षण के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी पी गुप्ता एड ने जिलाधिकारी रवीश गुप्ता के साथ साथ विधायक विनोद सिंह, सांसद मेनका गांधी व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश‌ को शिकायती पत्र भेजकर जनता की समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करने की मांग किया।उच्च स्तर पर भेजे गए अपने शिकायती पत्र में मानव अधिकार संरक्षण के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डी पी गुप्ता एड ने कहा कि करोड़ों की लागत से बने शहर का ट्रामा सेंटर व बिरसिंहपुर क्षेत्र का हॉस्पिटल जो कि काफी समय से बनकर तैयार होने के बावजूद अभी भी चालू नहीं हुआ है, जिसके चलते आम जनता को भारी कष्ट उठाना पड़ा रहा है। किसी हादसे में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को जीवन बचाने के लिए लखनऊ के ट्रामा सेंटर में इलाज के लिए जाना पड़ता है। तमाम मरीजों की मौत लखनऊ जाते समय रास्ते में ही हो जाती है। यदि सुल्तानपुर का ट्रामा सेंटर सुचारू व व्यवस्थित रूप से चले तो गंभीर रूप से घायल मरीजों को तत्काल समय रहते इलाज मिलने से उनके प्राणों की रक्षा हो सकती है।जिला अस्पताल की दुर्व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि मारपीट में घायल व्यक्तियों का मेडिकोलीगल जिला हॉस्पिटल में रेडियोलॉजिस्ट की कमी के चलते पिछले 6 महीने से बंद है। ऐसे में कड़ाके की ठंड में पीड़ित जनता को सरकारी मेडिको लीगल कराने के लिए गौरीगंज जाना पड़ता है जिससे उनको अनावश्यक रूप से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।‌ प्रशासन को जिला अस्पताल में बंद चल रहे मेडिकोलीगल को जल्द से जल्द शुरू करवा देना चाहिए।बिरसिंहपुर निवासी मानव अधिकार संरक्षण के जिला कमेटी सदस्य अनूप कुमार मोदनवाल ने इलाके की जनता के दिक्कतों को अवगत कराते हुए कहा कि इस क्षेत्र में बने सौ शैय्या युक्त चिकित्सालय का संचालन ना होने से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को 40 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है।  27 करोड़ की लागत से बनकर तैयार आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल जहां बेकार साबित हो रहा है‌ वहीं ओपीडी संचालन ना होने से क्षेत्र के लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यदि अस्पताल का संचालन शुरू हो जाता तो ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को काफी सहूलियत मिलती।

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