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सर्दियों में कम से कम कपड़ों में शरीर को कैसे रखें गर्म


 र्दियों से बचने के लिए लोग एक के ऊपर एक कई गर्म कपड़े पहनते हैं ताकि उनके शरीर का तापमान सही स्‍तर पर बना रहे और वे बीमार होने से बचे रहें। अगर आपको भी आजकल ऐसा ही करना पड़ रहा है और आपको कपड़ों की कई लेयर में पैक रहने से चिढ़ होती है तो ये खबर आपके लिए ही है।हम आज विशेषज्ञों के हवाले से आपको बता रहे हैं कि कैसे शरीर को ठंड में कम से कम कपड़ों में आराम से रहने के लिए ट्रेंड कर सकते हैं।सामान्‍य तौर पर कोर बॉडी टेम्‍प्रेचर 36.5 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए। इसे मेनटेन करना इतना मुश्किल काम नहीं है। अगर हम आज से 10-15 साल पहले के या मौजूदा हालात के बारे में भी गौर करें तो देश की बहुत बड़ी आबादी के पास घरों में ना तो ऐसे एसी हैं जो कमरे को गर्म भी करते हों ना ही हर ऑफिस में सेंट्रल हीटिंग सिस्‍टम उपलब्‍ध है। वहीं हीटर्स या एसी का ज्‍यादा इस्‍तेमाल ना सिर्फ हमारे लिए, बल्कि पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा सकता है। भारत में सामान्‍य तौर पर तापमान 3 से 4 डिग्री सेल्सियस तक गिरता है। अगर हम ब्रिटेन या यूरोपीय देशों पर गौर करें तो पाएंगे कि वहां सामान्‍य तौर पर इतना तापमान रहता है। फिर भी वहां के लोग काफी कम कपड़ों में आराम से बाहर निकल आते हैं।आइए समझते हैं कि ये कैसे होता है।ऑरेगॉन यूनिवर्सिटी में ह्यूमन फिजियोलॉजी के प्रोफेसर क्रिस्‍टोफर मिनसन का कहना है कि मानव शरीर को कड़कड़ाती ठंड के लिए धीरे-धीरे प्रशिक्षित किया जा सकता है।उनका कहना है कि आजकल लोग काफी थर्मोस्‍टेटिक हो गए हैं। लोग घरों में हीटर का इस्‍तेमाल करते हैं तो अब कारों और बसों को भी गर्म रखने वाले स्स्टिम्‍स का इस्‍तेमाल धड़ल्‍ले से हो रहा है। वहीं काफी ऑफिसेस में भी सेंट्रल हीटिंग सिस्‍टम्‍स का इस्‍तेमाल होता है। ये हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ठीक नहीं है। हम अपने शरीर को गर्म रखने के सामान्‍य तरीके भूलते जा रहे हैं। इससे हमारा शरीर घटते हुए तापमान के मुकाबले खुद को ढालने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा है। हम खुद को गर्म रखने के लिए आप्राकृतिक तरीकों का ज्‍यादा इस्‍तेमाल करने लगे हैं।मिनसन कहते हैं कि मनुष्य का शरीर पानी और मांस से बना है। हमें हमारी चयापचय दर यानी मेटाबॉलिक रेट गर्म रखता है. हम अपनी मेटाबॉलिक रेट के जरिये ऊर्जा पैदा करते हैं।हर व्‍यक्ति का शरीर अलग है।इसलिए अलग-अलग लोगों को अपने शरीर के मूल तापमान को बनाए रखने के लिए कम या ज्‍यादा मेहनत करनी पड़ती है। सामान्य तौर पर पुरुषों में महिलाओं की तुलना में थोड़ी ज्‍यादा मांसपेशियां होती हैं।इससे पुरुषों को अपने शरीर को थोड़ा गर्म रखने में मदद मिलती है दरअसल, ज्‍यादा मांसपेशियां होने से मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाती है. मेटाबॉलिक रेट के आधार पर ही कुछ लोगों को ज्‍यादा तो कुछ को कम ठंड लगती है।क्रिस्‍टोफर कहते हैं कि हर समस्‍या के लिए समाधान की उम्‍मीद हमेशा बनी रहती है. ठंड कम या ज्‍यादा लगने में उम्र भी बड़ा कारण है। दरअसल जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है, हमारी मेटाबॉलिक रेट कम होता जाता है। हमारे शरीर में तापमान को नियंत्रित करने का सेंट्रल रेग्‍युलेटर हायपोथेलेमस में होता है।इसे हमारी त्‍वचा, मांसपेशियों, अंगों और टिश्‍यूज के जरिये तापमान के सिग्‍नल मिलते हैं। यहां तक कि अगर हमारे रक्‍त का तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस है, तब भी बाकी सेंसर्स से मिले सिग्‍नल के आधार पर ये बता देता है कि बाहर का तापमान गिर रहा है। इससे हमारी त्‍वचा मामूली तौर पर सिकुड़ जाती है ताकि हमारे रक्‍त की गर्माहट बनी रहे. हायपोथेलेमस को मिलने वाले सिग्‍नल की ही प्रतिक्रिया है कि हम हाथों को बगल में दबा लेते हैं या ज्‍यादा कपड़े पहन लेते हैं।अब सवाल ये उठता है कि क्‍या हम अपने शरीर को कड़कड़ाती ठंड में भी कम कपड़ों में भी आराम से रहने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं? प्रोफेसर मिनसन इसको लेकर काफी समय से खुद पर ही प्रयोग कर रहे हैं। वह बताते हैं कि सर्दियां बढ़ने के साथ उनके कपड़ों की लेयर्स बढ़ती जाती थीं. वहीं, उनके कुछ साथी सिर्फ टी-शर्ट में ऑफिस पहुंच जाते थे।ऐसे में उन्‍होंने अपने साथियों की नकल कर कम कपड़े पहनने शुरू कर दिए। वह कहते हैं कि शुरुआत में लगा हे भगवान बहुत ठंड है लेकिन एक सप्‍ताह से भी कम समय में उनके शरीर ने ठंड में रहना सीख लिया। कुछ ही सप्‍ताह में मैं ठंड में सिर्फ टी-शर्ट पहनकर बाइक पर ऑफिस जाने लगा और मुझे ठंड भी नहीं लगी।मिनसन आज बहुत ठंडे पानी का शॉवर लेने के शौकीन हैं. उन्‍होंने इसकी शुरुआत सिर्फ 15 सेकेंड के ठंडे शॉवर से की थी. इसके बाद इसे 30 सेकेंड, फिर 1 मिनट तक ले गए। सिर्फ एक महीने के भीतर उन्‍हें ठंड का अहसास कम होने लगा. दरअसल, इस प्रक्रिया को पूरा करते-करते मेरे सेंसर्स ने दिमाग को बाहरी तापमान को लेकर ये बताना शुरू कर दिया कि बाहरी तापमान के मुकाबले शरीर का मूल तापमान इतने कम कपड़ों में ही बना रहेगा और इतनी ठंड से शरीर को कोई खतरा नहीं है।

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