ब्रेकिंग न्यूज

यूपी में रक्षा हथियार और आयुध बनाने वाली कंपनियों को भी डिफेंस कॉरिडोर में मिलेगी भूमि


लखनऊ प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में अब रक्षा हथियार और आयुध बनाने वाली कंपनियों को जमीन आवंटित हो सकेगी। योगी कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में उ प्र. रक्षा एवं एयरोस्पेस इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2018 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इससे रक्षा उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को नीति के अनुसार निवेश पर सब्सिडी भी दी जाएगी। नीति में संशोधन कर डिफेंस टेस्टिंग यूनिट और डिफेंस पैकेजिंग सहित 13 क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इससे इन क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा।नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस टेस्टिंग आधारभूत संरचना की घोषणा की है। इसके तहत देश में 8 ग्रीन फील्ड डिफेंस टेस्टिंग की आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।  रक्षा मंत्रालय की ओर से देश के दोनों डिफेंस कॉरिडोर में दो-दो सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। इसमें राज्य सरकार भूमि एवं आवश्यक वित्तीय मदद प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि ऐसी इकाई जिसने भारत सरकार के संबंधित अधिनियमों के तहत कतिपय डिफेंस आइटम अथवा आर्म्स एंड ऐम्युनिशन आइटम मैन्युफैक्चरिंग के लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया है  मैन्युफैक्चरिंग शुरू करना चाहती है उसे कॉरिडोर में भूमि उपलब्ध कराने की वर्तमान में व्यवस्था नहीं है। ऐसी नई इकाइयों को भी रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई की परिभाषा में शामिल करते हुए भूमि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।रक्षा तथा एयरोस्पेस इकाई उत्पादों में सामग्री, उपकरण, उपस्कर विनियोजन, इकाई उप संयोजक तथा उपस्कर शामिल होंगे। रक्षा, एयरोस्पेस इकाई उत्पादों में इन उत्पादों के परिवहन के लिए विशिष्ट लॉजिस्टिक्स वाहनों, संयंत्रों को भी शामिल किया जाएगा। डिफेंस कॉरिडोर में रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण इकाइयों को निवेश पर सात प्रतिशत (अधिकतम 500 करोड़) रुपये सब्सिडी दी जाएगी।बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थापित होने वाली सभी रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण इकाइयों  को 10 प्रतिशत (अधिकतम 500 करोड़ रुपये) सब्सिडी दी जाएगी। इकाइयों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में दी जाने वाली सब्सिडी 50 करोड़ से अधिक नहीं होगी। डिफेंस नोड के तहत अधिग्रहीत औद्योगिक क्षेत्र में विद्युत प्रणाली, जलापूर्ति, सीवर एवं सड़क की सुविधा दी जाएगी और पेरिफेरल बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे देश की रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता कम होगी और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा मिलेगा।

कोई टिप्पणी नहीं