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प्रधानमंत्री ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया


नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर इंडिया गेट पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। ग्रेनाइट से निर्मित एक प्रतिमा तैयार होने पर वह होलोग्राम प्रतिमा की जगह लेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व में कहा था कि यह प्रतिमा स्वतंत्रता संग्राम में बोस के अतुलनीय योगदान के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि होगी। यह देश के उनके प्रति ऋणी होने का प्रतीक होगी।इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार को स्थापित किया था। हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा आज डिजिटल स्वरूप में इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा भी लगेगी।उन्‍होंने कहा कि नेताजी कहते थे कि कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके। आज हमारे सामने आजाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है। हमारे सामने आजादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं।लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है।आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा।ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि पिछले वर्ष, आज के ही दिन मुझे कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास भी जाने का अवसर मिला था।जिस कार से वो कोलकाता से निकले थे, जिस कमरे में बैठकर वो पढ़ते थे, उनके घर की सीढ़ियां, उनके घर की दीवारें, उनके दर्शन करना, वो अनुभव, शब्दों से परे है।मैं 21 अक्टूबर 2018 का वो दिन भी नहीं भूल सकता जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष हुए थे।लाल किले में हुए विशेष समारोह में मैंने आजाद हिंद फौज की कैप पहनकर तिरंगा फहराया था।वो पल अद्भुत है, अविस्मरणीय है।नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं पाती थी।हमें नेताजी सुभाष की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है।

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