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झूठी रेप पीड़िता पर कोर्ट का सख्त फैसला

 


लखनऊ झांसी जिले में करीब 6 साल पहले रेप का झूठा केस दर्ज कराने वाली एक लड़की अपने बयानों के कारण ही कोर्ट में घिर गई। वर्ष 2015 में रेप की एफआईआर दर्ज कराई और फिर कोर्ट में हुए 164 के बयान में भी रेप करने की बात कही। लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान वह अपने पहले के बयानों से मुकर गई और कोर्ट में बयान दिया कि उसके साथ कोई रेप नहीं हुआ।इस पर कोर्ट ने आरोपी को बाइज्जत बरी कर दिया और आदेश दिया कि झूठी एफआईआर कराने वाली लड़की के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए। यह फैसला एससी-एसटी एक्ट कोर्ट की विशेष न्यायाधीश इंदु द्विवेदी ने सुनाया है। लड़की पर दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 344 के तहत मुकदमा चलेगा। जुर्म साबित होने पर उसको 3 माह की जेल या 500 रुपए जुर्माना हो सकती है।18 नवंबर 2015 को महिला थाना नबाबाद में एफआईआर दर्ज हुई थी। तब लड़की की उम्र 18 साल थी। उसने शिकायत दी थी कि झोकन बाग निवासी रिंकू को 4 साल से जानती है। आरोप था कि झांसा देकर रिंकू ने उसके साथ शरीरिक संबंध बनाए। परेशान होकर 2013 में वह दिल्ली चली गई और जॉब करने लगी।तब वहां भी राहुल पहुंच गया और बोला कि वह उसकी पत्नी है। मंगल सूत्र पहनाकर मारपीट की। 2015 में वह झांसी आकर जॉब करने लगी। 30 अक्टूबर 2015 काे राहुल ने घर में घुसकर रेप किया। पुलिस ने रेप, मारपीट और एससी-एसटी एक्ट में केस दर्ज कर राहुल को गिरफ्तार किया था।कोर्ट में शिकायतकर्ता लड़की ने गवाही दी कि रिंकू उसका दोस्त है। उसने कभी मंगल सूत्र नहीं पहनाया और न ही वह रिंकू से परेशान होकर दिल्ली गई थी। रिंकू न दिल्ली आया और न ही मारपीट की। रिंकू ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए।मित्र होने के नाते झांसी में एक बार शादी के लिए कहा था तो रिंकू ने मना कर दिया। तब नाराज होकर एफआईआर लिखवा दी थी। कोर्ट में भी किसी के प्रभाव में आकर 164 का बयान दिए थे। लड़की की मां भी कोर्ट में गवाही से मुकर गई।

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