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प्रधानमंत्री ने कहा बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था,लेकिन भरोसा था यह अधिक शान से उठ खड़ा होगा


नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम पहुंचे हैं। उन्होंने यहां गर्भगृह में करीब 15 मिनट तक पूजन किया, फिर मंदिर की परिक्रमा की। इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य के हाल ही में बने समाधि स्थल पर शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया। ये प्रतिमा 12 फुट लंबी और 35 टन वजनी है।  प्रधानमंत्री ने यहां के विकास कार्यों की समीक्षा भी की।केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री ने कई प्रोजेक्ट का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया। इस दौरान उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। इसके बाद 'जय बाबा केदार' के उद्घोष के साथ  प्रधानमंत्री मोदी ने अपना संबोधन शुरू किया।प्रधानमंत्री ने कहा, 'बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और अपने आप को रोक नहीं पाया था। मैं यहां दौड़ा चला आया था। मैंने अपनी आंखों से उस तबाही को देखा था, उस दर्द को सहा था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा। यह विकास कार्य ईश्वर की कृपा से हुआ।मैं समझता हूं कि आज के दौर में आदि शंकराचार्य का सिद्धांत और ज्यादा पारंपरिक हो गया है। हमारे यहां तीर्थस्थलों की यात्रा, तीर्थाटन को जीवनकाल का हिस्सा माना गया है। यह हमारे लिए सिर्फ सैर-सपाटा नहीं है।

यह भारत का दर्शन कराने वाली जीवंत परंपरा है। हमारे यहां व्यक्ति की इच्छा होती है कि जीवन में एक बार चारधाम यात्रा जरूर कर लें, गंगा में एक बार डुबकी लगा लें।बाबा केदारनाथ ने, संतों के आशीर्वाद और यहां की मिट्‌टी ने मुझे पाला-पोसा था अगर उसकी सेवा करने का अवसर मिले तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है। मुझे पता है कि यहां बर्फबारी के बीच भी मेरे हमारे श्रमिक भाई-बहन ईश्वरीय कार्य मान कर भी माइनस टेम्परेचर के बीच भी काम करते थे, तब जाकर यह काम हो पाया है। बीच-बीच में मैं ड्रोन की मदद से यहां काम की बारीकियों को देखता था।पीएम मोदी ने कहा, 'आज सभी मठों, सभी 12 ज्योतिर्लिंगों, अनेक शिवालयों, शक्तिधामों पर पूज्य गुरुजन, साधु-संत और अनेक श्रद्धालु भी देश के कोने में आज केदारनाथ की इस पवित्र भूमि के साथ, इस पवित्र माहौल के साथ सशरीर नहीं, लेकिन आत्मिक रूप से वर्चुअल रूप से वे हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। आप सभी आदि शंकराचार्य की समाधि की पुन: स्थापना के साक्षी बन रहे हैं। यह भारत की आध्यात्मिक समद्धि और विरासत का अलौकिक दृश्य है।

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