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अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने मुंशी प्रेमचंद की 141 वीं जयंती मनाई


सुलतानपुर भारतीय साहित्य के पुरोधा मुंशी प्रेमचंद की 141 वीं जयंती पर शनिवार को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा 2150 की सुलतानपुर इकाई ने उनकी जयंती मनाई और श्रद्धांजलि दी।हिन्दी साहित्य के अद्वितीय लेखक व उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उन्होंने लेखन की शुरुआत नवाब राय के नाम से की थी।लेकिन बाद में उन्होंने मुंशी प्रेमचंद नाम से अपना परिचय दिया। मुंशी प्रेमचंद का जन्म वाराणसी जिले के लमही में 31 जुलाई 1880 को हुआ था।उनकी रचनाओं में गोधूलि, गोदान, सद्गति, हीरा मोती, मजदूर,शतरंज के खिलाड़ी मानसरोवर, सेवा सदन, नमक का दरोगा, कर्मभूमि, रंगभूमि व कफन जैसे साहित्य आज भी अद्वितीय हैं। उनका लेखन आदर्शोन्मुख व यथार्थवाद पर आधारित है। यथार्थवाद बीसवीं सदी की प्रमुख विचारधारा थी। हिंदी व उर्दू भाषाओं के ज्ञाता मुंशी प्रेमचंद जी के लेखन बीसवीं सदी में वर्ष 1920 से 1936 के बीच प्रकाशित हुए। 56 वर्ष की उम्र में मुंशी जी का देहावसान 8 अक्टूबर 1936 को हो गया। शहर के बढैयाबीर स्थित मुंशी प्रेमचन्द पार्क में आयोजित कार्यक्रम में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के जिला अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव ने मुंशी जी को अद्वितीय लेखक बताते हुए समाज को उनसे सीख लेने की सलाह दी। नादर्न रेलवे मेंस यूनियन के पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि मुंशी जी की रचनाएं वास्तविकता व यथार्थ पर आधारित हैं। पूर्व एडीओ पंचायत अजय श्रीवास्तव ने कहा की चित्रांशों को मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व, कृतित्व व जीवन सिद्धांतों से सीख लेने की जरूरत है। हमें उनके आदर्शों को आगे बढ़ाना होगा । इस मौके पर पूर्वी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र श्रीवास्तव, महामंत्री कमलेश श्रीवास्तव, ज्योति स्वरूप श्रीवास्तव, प्रशांत गौरव श्रीवास्तव व मीडिया प्रभारी विवेक श्रीवास्तव,सुधीर श्रीवास्तव, हरीश श्रीवास्तव तथा इंदु प्रकाश श्रीवास्तव समेत कई लोग रहे।

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