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पुलिस हेड क्वार्टर(सिग्नेचर बिल्डिंग) में नौकरी करने का रास्ता हुआ साफ


सुल्तानपुर के कई उप निरीक्षक अपनी इच्छा पर राजधानी में कर सकते हैं ड्यूटी

रिपोर्ट - योगेश यादव

 पुलिस हेड क्वार्टर की सिग्नेचर बिल्डिंग में अब पुलिस कर्मियों की इच्छा पर ड्यूटी लगाई जाएगी ।शासन ने इसके लिए कई जिलों से उन पुलिसकर्मियों से प्रस्ताव मांगा है जो लखनऊ में सिगनेचर बिल्डिंग में ड्यूटी करना चाहते हैं ।शासन से आए इस आदेश से कई पुलिसकर्मियों की चेहरे खिल गए हैं। क्योंकि वह राजधानी में चाह कर भी ड्यूटी नही कर पा रहे हैं।कई उप निरीक्षक अलग-अलग जिलों में दे रहे हैं सेवा।बताते चलें कि सुल्तानपुर जनपद में भी कई ऐसे पुलिसकर्मी जिनका परिवार लखनऊ में शिफ्ट है।उन्हें कभी कभार छुट्टी लेकर उन्हें अपने परिवार भी जाना पड़ता था । अब सिग्नेचर बिल्डिंग में ड्यूटी करके वह अपने परिवार के बीच जा सकते हैं और परिवार और बच्चों की देखरेख कर सकते हैं।

                                    

 सुल्तानपुर में भी कई ऐसे पुलिसकर्मी जो पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन मिश्रा और शासन को सीधे तौर पर पत्र भेजकर अपनी ड्यूटी के लिए फॉर्म भर सकते हैं इसमें पुलिस अधीक्षक की संस्तुति मांगी जाएगी।हालांकि इतना स्प्ष्ट नही की किस कटेगरी के पुलिस कर्मी अप्लाई कर सकते हैं।इस बाबत एसपी डॉ विपिन मिश्रा ने ऐसे आदेश की पुष्टि नही की लेकिन इतना जरूर कहा कि यदि ऐसा हुआ तो ऐसे पुलिसकर्मियों के लिए काफी अच्छा हो जाएगा ।जिनका परिवार लखनऊ में है वह शिफ्ट वाइज ड्यूटी करके अपने परिवार पर भी ध्यान दे सकते हैं।राजधानी की सिग्नेचर बिल्डिंग पुलिस मुख्यालय में 7 रिक्टर भूकंप तक बेअसर,

बिना स्कैनिंग के नहीं जा सकते अंदर 

लखनऊ। जानिए यूपी पुलिस मुख्यालय के सिग्नेचर बिल्डिंग के बारे में ख़ास जानकारी।शहीद पथ के किनारे दस एकड़ में बनी नौ मंजिला सिग्नेचर बिल्डिंग पुलिस मुख्यालय का नया पता है। निर्माण एजेंसी का दावा है कि ऐसी बिल्डिंग एशिया में कहीं नहीं है ।यहाँएक छत के नीचे सभी प्रमुख पुलिस अधिकारियों का कार्यालय है ।जिलों को हाईटेक कंट्रोल रूम के माध्यम से दिशा निर्देश जारी किए जा सकते हैं। विभिन्न जिलोें में पुलिस का प्रशिक्षण हासिल कर रहे रंगरूटों को स्मार्ट क्लास के जरिए एक साथ संबोधित कर सकते हैं। इस बिल्डिंग की सुरक्षा कुछ ऐसी है कि बिना स्कैनिंग के कोई व्यक्ति भी बिल्डिंग में दाखिल नहीं हो सकता। डीजीपी से लेकर डीआईजी तक के लिए अलग गेट है और एसपी से लेकर सिपाही तक के लिए अलग गेट। आम जनता और आगंतुकों के लिए अलग गेट बनाया गया है ताकि एक ही गेट पर पूरा लोड न पड़े। मजे की बात यह है कि चारों ओर से बिल्डिंग एक जैसी लगती है।इस बिल्डिंग की डिजाइन के लिए राष्ट्रीय स्तर की 15 कंसल्टेंट एजेंसी ने हिस्सा लिया था। बिल्डिंग का निर्माण एल एंड टी कंपनी ने किया है। बिल्डिंग का कवर एरिया 16 लाख स्क्वायर फीट है। पार्किंग के लिए दो बेसमेंट हैं जिसमें 1000 से अधिक कार और 800 से अधिक दोपहिया वाहन एक समय में खड़े किए जा सकते हैं। खास बात यह है कि बेसमेंट में नेचुरल लाइट और ताजी हवा के बंदोबस्त हैं। सभी तल पर सभी कार्यालय में लाइट और ताजा हवा के भी पूरे इंतजाम हैं। बिल्डिंग में जो शीशे लगाए गए हैं वह दो लेयर में हैं जो कमरों को हीट होने से बचाता है। इस बिल्डिंग में एक भी पंखा नहीं है। पूरी बिल्डिंग में सेंट्रलाइज एयर कंडीशन लगा है और हर कमरे में टंपरेचर कंट्रोलर लगा हुआ है। इस बिल्डिंग को केंद्रीय एजेंसी ‘ग्रीन रेटिंग फार इंटीग्रेटेड हैबिटल असिस्मेंट’ (गृहा) ने ग्रीन बिल्डिंग का दर्जा दिया हुआ है।बिल्डिंग के बीचो बीच लिफ्ट के चार सेक्शन बने हुए हैं जिसमें कुल 12 लिफ्ट लगी है। हर टावर में चार अतिरिक्त सर्विस लिफ्ट भी है। डीजीपी के लिए एक अलग लिफ्ट है जो सीधे ग्राउंड तल से नौवें तल पर खुलती है। ग्राउंड फ्लोर पर लोक शिकायत का दफ्तर और डीजीपी के पीआरओ का आफिस और मीडिया सेंटर है। इसी फ्लोर पर एक कैफेटेरिया है जहां 400 लोग एक साथ बैठकर खाना खा सकते हैं। यहां संग्रहालय और पुस्तकालय की भी व्यवस्था ग्राउंड फ्लोर पर ही है। ग्राउंड पर ही 500 सीट का एक ऑडिटोरियम भी तैयार किया हो रहा है।

अंतिम तल पर डीजीपी का कार्यालय

बिल्डिंग के टाप फ्लोर पर डीजीपी का आफिस है। अन्य तल की अपेक्षा आखिरी तल का स्पेस कम है। यहां दूसरे टावर में डीजीपी का कार्यालय है। इस टावर में एक ओर डीजीपी के स्टाफ अफसर और दूसरी ओर जनरल स्टाफ अफसर बैठते हैं। 9वें तल पर डीजीपी का कांफ्रेंस हाल है जहां शार्ट नोटिस पर सभी महत्वपूर्ण अधिकारियों की बैठक बुलाई जा सकती है। इसी तल पर एक अन्य टावर में लाउंज एरिया भी है जहां आए हुए खास मेहमानों के ठहरने की व्यवस्था है। इस फ्लोर पर टैरेस गार्डेन भी है।

9 रिक्टर स्केल का भी भूकंप झेल सकती है यह बिल्डिंग

इस बिल्डिंग की जो सबसे बड़ी खासियत है वह भूकंप रोधी है। बिल्डिंग बनाने वाले इंजीनियरों की मानें तो यह बिल्डिंग 9 रिक्टर स्केल तक के भूकंप झेलने में सक्षम है। हालांकि लखनऊ और इसके आसपास कभी भी 6 रिक्टर स्केल से अधिक का भूकंप कभी नहीं आया।

लेकिन नहीं बन सका हेलीपैड

इस बिल्डिंग के टाप पर हेलीपैड बनना प्रस्तावित था। लेकिन सरकार ने बजट में कटौती करते हुए फिलहाल हेलीपैड बनाने की इजाजत नहीं दी। सूत्रों का कहना है कि हैलीपैड से संबंधित समस्त उपकरण लगाने के लिए 7 से 8 करोड़ रुपये का और खर्च आता। लेकिन बजट में इसकी व्यवस्था नहीं की गई।

इलेक्ट्रॉनिक आईडी से ही हो सकेगा प्रवेश

सिग्नेचर बिल्डिंग में प्रवेश के लिए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की इलेक्ट्रॉनिक आईडी बनाई गई है। यहां सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक आईडी से ही प्रवेश हो सकेगा। गोपनीय और संवेदनशील कार्यालयों में जाने के लिए बायोमीट्रिक लॉक हैं। आम जनता के लिए विजिटर कार्ड जारी किए जाएंगे।

फायर अलार्म वहीं बजेगा जहां धुआं उठेगा

बिल्डिंग का फायर सिस्टम काफी एडवांस है। आग लगने की दशा में फायर अलार्म सिर्फ उसी सेक्शन में बजेगा, जहां से धुआं उठ रहा होगा। अमूमन फायर अलार्म पूरी इमारत में बज जाता है जिससे अफरातफरी मच जाती है। भागने के चक्कर में कोई हादसा भी हो सकता है। इसलिए यहां एडवांस सिस्टम लगाया गया है।

हर तल और हर टावर से नजर आती है हरियाली

बिल्डिंग की एक और खास बात है। दफ्तरों के शीशों पर लगा पर्दा अगर हटा दिया जाए तो हर तल के हर फ्लोर से चारों ओर हरियाली ही नजर आएगी। सातवें, आठवें और नवें तल से तो आसपास बन रही बिल्डिंग भी इस हरियाली वाले नजारे को नहीं रोक पा रहे।

बिल्डिंग एक नजर में

मई 2016 में इस बिल्डिंग की नींव रखी गई। तीन साल दो महीने के रिकार्ड समय में यह बिल्डिंग पूरी हो बनकर तैयार हो गई।

बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए 10 संतरी पोस्ट है जिसमें 7 वाच टावर है। जहां बुलेट प्रूफ बंकर बनाए गए हैं। -150 कैमरों से लैस सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम इस बिल्डिंग में लगा है। यह कैमरे बेसमेंट से लेकर गेट तक पर लगे हैं।

बिल्डिंग में प्रकाश के लिए एलईडी लाइट का प्रयोग किया गया है ताकि कम से कम बिजली की खपत हो।

यहां पुलिस कर्मियों की मूल भूत सुविधाओं के लिए बैंक, पोस्ट आफिस, हास्पिटल और कैफेटेरिया के इंतजाम भी हैं।

यहां खर्च होने वाले पानी को रिसाइकिल कर लैंड स्कैप जैसे कामों में इस्तेमाल में लाने की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

शौचालय में ऐसे उपकरण लगाए गए हैं जिसमें पानी का कम से कम उपयोग हो। ‘लो फ्लो टेब’ लगाए गए हैं ताकि पानी की बरबादी कम से कम हो।

बिल्डिंग की छत पर सोलर सिस्टम लगाए जा रहे हैं जो बिजली की खपत को कम करेंगे।

बिल्डिंग के शौचालयों में मोशन डिटेक्टर लगाए गए हैं। जहां निर्धारित समय तक किसी के न आने पर यहां की लाइट अपने आप बंद हो जाती है और किसी के पहुंचने पर स्वत: लाइट जल जाती है।

सभी टावर के सभी फ्लोर पर दो कॉरीडोर हैं। कॉरीडोर की दीवारों पर अलग अलग सीनरी और पेंटिंग्स लगाई गई है, जिसे समय समय पर बदला जा सकता है।

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