28 साल बाद आया फैसला सभी आरोपी हुए बरी बाबरी विध्वंस केस
फैसला सुनाते वक्त सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने कहा कि बाबरी विध्वंस की घटना कोई पूर्व नियोजित नहीं थी। मस्जिद को ढहाए जाने की घटना आकस्मिक थी। कोर्ट ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ तस्वीरों के आधार पर ही किसी को दोषी नहीं बना सकते हैं। इस मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया, उन्होंने बाबरी के ढांचे को बचाने की कोशिश की।कोर्ट ने कहा कि 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था। विशेष सीबीआई जज सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना में साजिश के प्रबल साक्ष्य नहीं हैं।कोर्ट ने कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं, कैसेट्स को सील नहीं किया गया और फोटोज की निगेटिव नहीं पेश की गई।
बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुधीर कक्कड़, सतीश प्रधान, राम चंद्र खत्री, संतोष दुबे, ओम प्रकाश पांडे, कल्याण सिंह, उमा भारती, राम विलास वेदांती, विनय कटियार, प्रकाश शारना, गांधी यादव, जय भान सिंह, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, बृजभूषण सिंह, रामजी गुप्ता, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, साध्वी ऋतंभरा, पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह, आरएम श्रीवास्तव और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे, जिन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बरी कर दिया।
कोई टिप्पणी नहीं