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‘रेमडेसिविर’ की मांग देश में लगातार बढ़ रही है

नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की फेहरिस्त में तीसरे स्थान पर मौजूद भारत में लगातार मामले बढ़ रहे हैं. बीमारी का संपूर्ण इलाज अभी तक ढ़ूंढ़ा नहीं गया है लेकिन इस वायरस के असर को कम करने के लिए इस्तेमाल की जा रही दवा ‘रेमडेसिविर’ की मांग देश में लगातार बढ़ रही है. इसको देखते हुए देश की प्रमुख फार्मा कंपनी जायडस कैडिला  ने इसका वर्जन बाजार में उतार दिया है. खास बात यह है कि ये इस दवा का यह सबसे सस्ता वर्जन है.अमेरिकी फार्मा कंपनी गिलीड साइंसेज की ओर से तैयार की गई इस एंटीवायरस दवा का दुनियाभर में कोरोना के खिलाफ इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. ये दवा इस वायरस का पूरी तरह इलाज तो नहीं करती, लेकिन इसके असर को 15 के बजाए 11 दिन तक कर देती है.भारत में बढ़ती मांग के बीच जायडस कैडिला ने इस दवा का सबसे सस्ता जेनेरिक संस्करण भारत में लॉन्च कर दिया. इसकी कीमत 2,800 रुपये प्रति 100 मिलीग्राम (शीशी) रखी गई है. इसके साथ ही जायडस पांचवी ऐसी कंपनी है, जो भारत में इस दवा को बना रही है.जायडस से पहले गिलीड ने भारतीय कंपनियों सिप्ला, जुबिलिएंट लाइफ, हिटेरो ड्रग्स और माइलॉन एनवी को भारत में इस दवा के उत्पादन की इजाजत दी थी. ये चारों कंपनियां भी रेमडेसिविर की कॉपी भारत में पहले ही उतार चुकी हैं.गिलीड साइसेंज ने अफ्रीकी महाद्वीप में बुरा कहर बरपाने वाले इबोला वायरस के इलाज के लिए इस दवा का विकास किया था, जो अब विशेष स्थितियों में कोरोना के इलाज के लिए भी इस्तेमाल की जा रही है.इतना ही नहीं, जायडस कैडिला कोरोना के इलाज के लिए वैक्सीन के निर्माण में भी जुटी है. भारत बायोटेक के अलावा जायडस कैडिला ही दूसरी ऐसी भारतीय कंपनी है, जिसे वैक्सीन निर्माण की इजाजत मिली है और कंपनी पहले दौर के ट्रायल में है.

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