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कुवैत से आठ लाख भारतीयों को वापस आना होगा



नई दिल्ली,  कोरोना वायरस के संक्रमण का असर दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा है. इनमें वो अर्थव्यवस्थाएं भी हैं जो तेल पर निर्भर हैं. दुनिया भर में तेल की मांग कम हुई है और इसलिए क़ीमतों में भी लगातार गिरावट आई है. ऐसे में कई देश अपनी आर्थिक नीतियों को बदलने में लगे हैं. कुवैत भी उन्हीं देशों में से एक है.कुवैत अपने यहां से प्रवासी कामगारों की संख्या बड़ी तादाद में घटाने के लिए बिल पास करने जा रहा है ताकि वहां के लोगों के लिए रोज़गार के अवसर कम नहीं हों.कुवैत टाइम्स के अनुसार देश की नेशनल असेंबली की लीगल और लेजिसलेटिव कमिटी ने प्रवासियों के तय कोटे को लेकर एक ड्राफ्ट नियम को मंज़ूरी दे दी है. ड्राफ़्ट लॉ को पाँच सासंदों ने सौंपा था. कुवैत टाइम्स के अनुसार अब यह बिल संबंधित कमिटी के पास जाएगा.कमिटी इस बिल की स्टडी करेगी और कोटा सिस्टम पर अपनी राय रखेगी. इस बिल के अनुसार कुवैत में विदेशी समुदाय में सबसे ज़्यादा लोग भारत के हैं. बिल अगर लागू होता है तो यहां भारतीय कुवैत की कुल आबादी के 15 फ़ीसदी से ज़्यादा नहीं रह सकेंगे.अभी कुवैत में 14 लाख से ज़्यादा भारतीय रहते हैं. अगर इस नए बिल को मंजूरी मिल जाती है तो कुवैत से कम से कम आठ लाख भारतीयों को वापस आना होगा.बता दें कि कुवैता में भारतीय समुदाय सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जिसकी कुल संख्या तकरीबन 15 लाख है।कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ ही वहां प्रवासियों के खिलाफ बयानबाजी शुरू हो चुकी थी। इसके बाद स्थानीय शासन और सरकारी अधिकारियों ने कुवैत से विदेशियों की संख्या कम करने की बात कही। जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार, कुवैत में कोरोनो वायरस के 49,000 से अधिक मामले सामने आए हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले महीने कुवैत के प्रधानमंत्री, शेख सबा अल खालिद अल सबाह ने अप्रवासियों की आबादी 70 से घटाकर 30 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव रखा।

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