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जानिए फर्जीवाड़े का पूरा सिस्टम फर्जी टीचर केस


लखनऊ, यूपी के चर्चित अनामिका शुक्ला फर्जी टीचर केस का खुलासा हो चुका है। इस गिरोह के मास्टर माइंड से लेकर उसकी मदद करने वाले तक एसपटीएफ की पकड़ में है। गिरफ्तार आरोपियों ने स्वीकार  कर लिया है कि वे अनामिका शुक्ला के नाम पर प्रदेश में फर्जी शिक्षकों की भर्ती कराते थे। इसके बदले  उन्होंने अभ्यथियों से लाखों रुपये हड़पे। इन लोगों ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, बागपत, कासगंज, सहारनपुर, अंबेडकरनगर व अलीगढ़ जिले के केजीबीवी में संविदा पर शिक्षकों की नियुक्तियां करायी थी।एसटीएफ ने फर्रुखाबाद जिले के कुंवरखास में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत पुष्पेन्द्र सिंह, जौनपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जिला समन्वयक के पद पर कार्यरत आनंद तथा जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय हरदोई में प्रधान लिपिक के पद पर कार्यरत रामनाथ को गिरफ्तार किया है। पुष्पेन्द्र पुत्र महराम सिंह मैनपुरी जिले के भोगांव थाना क्षेत्र स्थित नगला खराव का निवासी है। उसे राज उर्फ सुशील उर्फ गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है। आनंद पुत्र राम समुझ सिंह जौनपुर जिले के लाइन बाजार थाना क्षेत्र स्थित वाजिदपुर दक्षिणी के 168 एफ गौरीशंकर वाटिका का रहने वाला है। इसी तरह रामनाथ पुत्र पूरन लाल मूल रूप से लखीमपुर खीरी जिले के मैगलगंज थाना क्षेत्र स्थित लिधिया गांव का रहने वाला है। रामनाथ वर्तमान में हरदोई के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज पाली से संबद्ध है। 
शिक्षा विभाग में गहरी साठगांठ थी पुष्पेन्द्र की
पुष्पेन्द्र मूल रूप से मैनपुरी के भोगांव, नगला का रहने वाला है। अपने इलाके में वह सुशील उर्फ गुरुजी के नाम से भी जाना जाता है। रामनाथ वर्तमान में हरदोई के राजकीय बालिका इंटर कॉलेज पाली से संबद्ध है। एसटीएफ के मुताबिक पुष्पेन्द्र अपनी डयूटी पर कम ही जाता था। उसके लखनऊ में शिक्षा भवन से लेकर कई जिलों में बेसिक शिक्षा विभाग में गहरी पैठ थी। एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश के मुताबिक जौनपुर और आजमगढ़ के अलावा ये लोग नौ और लोगों को फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति करवा चुके हैं। 
पुष्पेन्द्र भी फर्जी दस्तावेज पर सुशील नाम से नौकरी पर था
एसटीएफ के एएसपी सत्यसेन ने बताया कि पुष्पेन्द्र भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही सुशील नाम से नौकरी कर रहा था। उसे यह नौकरी रामनाथ ने दिलायी थी। बाद में वह यही काम ही करने लगा। वह खुद सुशील नाम से फर्जी तरीके से सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहा था। वर्ष 2010 में वह प्रधान लिपिक रामनाथ के सम्पर्क में आया था। रामनाथ के सहयोग से उसने अंजली नाम की महिला की केजीबीवी में नियुक्ति कराई थी।
पुष्पेन्द्र : अभ्यर्थियों को जाल में फंसाता था। फिर उनके फर्जी दस्तावेज तैयार करवाता था। साथ ही शिक्षा विभाग में साठगांठ कर कोई दिक्कत नहीं आने देता था।
आनन्द: बीएसए कार्यालय में आने वाले आवेदनों को देखता। फिर जिसमें मेधावी अभ्यथियों की मार्कशीट की फोटो कॉपी करा कर पुष्पेन्द्र को उपलब्ध करा देता था। इसके बदले वह ही पुष्पेन्द्र से रुपये लेता था।  
रामनाथ: अभ्यथिर्यों को पुष्पेन्द्र तक पहुंचाता था। उन्हें किस जिले में नियुक्ति दिलायी जायेगी, इसके लिये वह ही दस्तावेज तैयार करवाता था।

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