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वर्तमान में बदल रहा है शिक्षा का स्वरूप

*हमे यह भली भाँति विदित* है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और सामाजिक प्राणी होने के कारण मनुष्य को व्यावहारी ज्ञान का पता होना अत्यंत आवश्यक है एक जन्मा बच्चा जब संसार में आता है तो उसे कोई ज्ञान नहीं होता तब उसकी माँ प्रथम गुरु कहलाती है और उसे सामान्य व्यवहारिक बोध का ज्ञान कराती है और उठना बैठना बोलना यहाँ तक की खाना खाने का ढंग भी सिखाती है जब बच्चा कुछ समझदार होता है तब उसे विधालय भेजा जाता है जहाँ उसकी शिक्षा प्ररंभ होती है वर्तमान समय में शिक्षा का स्वारुप व उसकी परिकल्पना प्राचीन समय से बिलकुल भिन्न है शिक्षा का एकमात्र लक्ष्य डिग्री लेना है आज जब बच्चा स्कूल जाता है और घर वापस आता है तो उसे यह नहीं पूछा जाता की बेटा आज क्या नया सीख  कर आए हो बल्कि उसे यह कहा जाता है कि नंबर अगर सत प्रतिशत नहीं आए तो तुम्हारा खेलना और टीवी देखना बन्द शिक्षा का स्वारुप आखिर कैसा हो गया है शिक्षा जिसका एकमात्र अर्थ आज है नंबर लाना डिग्री लेना और फिर अच्छी जगह जाँब करना अगर व्यक्ति यह सोचने का प्रयास करे कि शिक्षा का मूल्य उदेश्य यहाँ तक नहीं सिमित है बल्कि यह अनंत है तो सही भाषा में हम शिक्षा को परिभाषित कर पाएगे स्वामी विवेकानंद जी कहते थे शिक्षा का उदेश्य चारित्रिक उत्थान करना है आज जिस तरह से समाज में भ्रष्टाचार फैला हुआ है उसका कही ना कही एक मात्र कारण शिक्षा का अभाव हैं यदी शिक्षा सही ढंग से सही अभाव से ग्रहण की जाए तो कोई भी इंसान भ्रष्ट नहीं होगा बल्कि वह अपने कर्तव्यो व अधिकारो के प्रति जागरूक होगा अतः यह कहना गलत नहीं होगा की हमारी शिक्षा प्रणाली में कहीं ना कही आज भी  दोष है शिक्षा का स्वरूप ऐसा होना चाहिए जिसमें बच्चो के यह बोझ ना लगे बल्कि यह स्वयं की शिक्षा के प्रति आकर्षित हो शिक्षा को यदि परिभाषित किया जाए तो यह कहा जा सकता है कि शिक्षा का स्वरूप ऐसा हो जिसमे बच्चे का मानसिक शारीरिक चारित्रिक विकास हो सके इसके लिए यह भी आवश्यक है कि गुरु का चयन भी बड़े विचारणीय ढंग से करना चाहिए क्योंकि गुरु ही 
विधार्थी को एक अच्छा नागरिक बना सकता है यदि एक शिक्षक का चयन सही ढंग से ना किया जाए तो वही बच्चा आगे चलकर हमारे देश के अलग अलग विभागो में फैल जाएंगे और देश के प्रगति को अवरुद्ध करेंगे अतः किसी भी राष्ट्र की उन्नति का सीधा सरोकार वहां की शिक्षा प्रणाली से होता है हम अपने अंदर एक अच्छी शिक्षा प्रणाली का निर्माण करे और देश को प्रगति के पथ सदैव अग्रसर रखे

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*प्रयागराज*
*नेहा तिवारी*

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