अपनी विरासत सहेज कर अगली पीढ़ी को सौंपना हम सबका दायित्व - प्रोफेसर अनिल कुमार
सुलतानपुर सभ्यतायें नष्ट होती रहती हैं लेकिन संस्कृति के तत्व कभी समाप्त नहीं होते । अपनी विरासत को सहेज कर उसे अगली पीढ़ी को सौंपना हम सबका उत्तरदायित्व है। संयुक्त परिवार और उत्सव नई पीढ़ी को पुरानी परम्पराओं से जोड़ते हैं। इसलिए इन्हें सहेजने की आवश्यकता है। यह बातें लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार ने कहीं। वह राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय व उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में भारत की सांस्कृतिक धरोहर और अभिलेख संरक्षण की चुनौतियां विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वैदिक काल में एक परिवार में एक ही रक्त से जुड़े लोग अलग अलग वर्ण के होते थे । कालांतर में आई विकृतियों के कारण वर्ण व्यवस्था का अर्थ ही बदल दिया गया। भारत की आश्रम व्यवस्था और संस्कार पद्धति पूरी तरह से वैज्ञानिक है। इसको ठीक तरह से समझे बिना ही खारिज करना गलत है। इस कारण समाज में अनेक कुरीतियां पैदा हो रही हैं। अध्यक्षता करते हुए मुम्बई विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रामजी तिवारी ने कहा कि आज की पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने की जरूरत है।सुलतानपुर की सबसे बड़ी ऐतिहासिक धरोहर कुड़वार का गढ़ा धाम यहां के लोगों की उदासीनता के कारण नष्ट हो गया। महात्मा बुद्ध ने गढ़ा आकर यहां के क्षत्रियों को दीक्षा दी थी। हम अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित ही नहीं रख पाए इसके लिए कोई बाहरी ताकत या विदेशी दोषी नहीं हैं।विशिष्ट वक्ता भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा सुलतानपुर की धरती ऐतिहासिक धरती है । यहां के वीरों ने अंग्रेजों को सवा महीने तक अपने इलाके में नहीं घुसने दिया। कादू नाला में अनाम स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत जलियांवाला बाग से बड़ा हत्याकांड है । अंग्रेजो ने बिना किसी स्रोत के भारत का इतिहास लिखा। अपने स्वाभिमान के साथ प्राचीन मूल स्रोतों का हमें अध्ययन करना चाहिए। उत्तर प्रदेश राजकीय अभिलेखागार एवं संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी अमिताभ पाण्डेय ने कहा कि सुलतानपुर की ऐतिहासिक धरती पर कार्यक्रम आयोजित करना हमारे लिए महत्वपूर्ण है।प्रबंधक एडवोकेट बालचंद्र सिंह ने संगोष्ठी आयोजन को उपयोगी बताया। संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ अमित तिवारी स्वागत प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी व आभार ज्ञापन क्षत्रिय शिक्षा समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संजय सिंह ने किया। पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के अभिषेक गुप्ता व दिल्ली विश्वविद्यालय की शिखा यादव ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। इस अवसर पर क्षत्रिय शिक्षा समिति के सचिव रमेश सिंह टिन्नू, पूर्व प्राचार्य डॉ एस बी सिंह, डॉ एम पी सिंह विसेन , पूर्व समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ एम पी सिंह आदि उपस्थित रहे।


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