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बंट रहे फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट, हाईकोर्ट ने UP सरकार से मांगा जवाब

 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए संस्थाओं द्वारा फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट जारी किए जाने पर चिंता जताते हुए इस बारे में उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब कर लिया है।हाईकोर्ट ने कहा है कि शादियों के रजिस्ट्रेशन के लिए संस्थाएं फर्जी तरीके से मैरिज सर्टिफिकेट बांट रही हैं।अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि देश की राजधानी दिल्ली से सटा गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिला फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट का बड़ा सेंटर बना हुआ है। तमाम संस्थाएं इस फर्जीवाड़े के काम में सक्रिय है।हाईकोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि मैरिज रजिस्ट्रार दफ्तर के अफसरों और कर्मचारियों की मिली भगत के बिना यह कतई मुमकिन नहीं है। पुलिस और प्रशासन के भी शामिल होने से इंकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट के मुताबिक रजिस्ट्रार दफ्तर के अफसरों की मिलीभगत से ही लीगल मैरिज सर्टिफिकेट के बिना ही शादियों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है।हाईकोर्ट ने गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल से इस बारे में जवाब तलब करते हुए पिछले एक साल का रिकॉर्ड पेश करने को कहा है।अदालत में दोनों जिलों के अफसरों को अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश होने को भी कहा है।हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से भी जवाब तलब किया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के रजिस्ट्रेशन डिपार्मेंट के डायरेक्टर जनरल से पिछले एक साल का ब्यौरा पेश करने को कहा है। डायरेक्टर जनरल को पिछले साल एक अगस्त से इस साल एक अगस्त तक डिस्ट्रिक्ट वाइज शादियों के रजिस्ट्रेशन का ब्यौरा पेश करने को कहा गया है। पिछले एक सालों में किस जिले में कितनी शादियों के रजिस्ट्रेशन हुए और रजिस्ट्रेशन के लिए कहां का मैरिज सर्टिफिकेट लगाया गया और दूसरे कौन से डॉक्यूमेंट पेश किए गए।इनका रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करना होगा। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रेशन पर अंकुश लगाने को कहा है।जस्टिस विनोद दिवाकर की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा है कि फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट के जरिए ज्यादातर रजिस्ट्रेशन कोर्ट के जरिए पुलिस की सुरक्षा हासिल करने के लिए किए जाते हैं। हाईकोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी इटावा जिले के रहने वाले शनि देव की याचिका पर सुनवाई के दौरान की है।प्रेम विवाह करने वाले शनिदेव ने परिजनों से अपने जीवन को खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई है। उसने 03 जून 2007 को आर्य समाज मंदिर ग्रेटर नोएडा में विवाह करने का दावा किया है। कोर्ट ने कहा कि अपने जीवन साथी को चुनने और वैवाहिक संबंध या लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए हर व्यक्ति स्वतंत्र है।लेकिन जाली दस्तावेज के आधार पर सुरक्षा नहीं दी जा सकती।प्रदेश में विवाह कराने के लिए कई फर्जी संस्थाएं सक्रिय है। ऐसी अधिकांश सोसायटी या संगठन नोएडा या गाजियाबाद में स्थित हैं। अदालत ने अगली सुनवाई पर लखनऊ स्थित आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष या सचिव को भी कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है।कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस न्यायालय ने देखा है हर दिन 10-15 मामलों में विवाह धोखाधड़ी या फर्जी डॉक्यूमेंटस से किए गए हैं।हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई छह अगस्त को होगी।

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