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पशु क्रूरता रोके जाने हेतु किसानों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ब्लेड वाले कटीले तारों को पूर्णतः किया जाय प्रतिबंधित-डीएम


सुलतानपुर शासन द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में जिलाधिकारी द्वारा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 तथा उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम 1955 (यथा संशोधित अधिनियम 2020) के प्राविधानानुसार किसानों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ब्लेड वाले कंटीले तारों को पूर्णतयाः प्रतिबन्धित किये जाने विषयक शासन के निर्णय का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराये जाने एवं ब्लेड/कंटीले तारों के स्थान पर साधारण रस्सी का प्रयोग किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।  पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अध्याय-3 में साधारणतया पशुओं के प्रति क्रूरता (धारा 11) के अंतर्गत निम्न व्यवस्था वर्णित हैः- पशुओं के प्रति क्रूरतापूर्ण बर्ताव करना, पशुओं को अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुॅचाना, पशु का अंग विच्छेद करना या किसी अन्य अनावश्यक कूर ढंग से पशु को मार डालना या किसी पशु को सताने के लिए उद्दीप्त करना आदि दंडनीय अपराध है। उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 (यथासंशोधित अधिनियम, 2020) की धारा 5 (ख) के अंतर्गत ‘किसी गाय या उसके गोवंश को शारीरिक क्षति पहुॅचाना, गो- वंश का अंग-भंग करना, उसके जीवन को संकटापन्न करने वाली किसी परिस्थिति में लाना आदि भी दंडनीय अपराध है।      अतः उक्त अधिनियमों में निहित प्राविधानानुसार एवं गोवंश की सुरक्षा की दृष्टि से किसानों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले ब्लेड तारोंध्कंटीले तारों को प्रत्येक दशा में प्रतिबन्धित करने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाय। किसानों द्वारा खेतों में प्रयोग में लायी जा रही ब्लेड तारों कटीले तारों को परिवर्तित करवाते हुये पशुओं के अनुकूल बाड़ों का प्रयोग सुनिश्चित किया जाय। उप जिलाधिकारी द्वारा उल्लंघन करने वाले कुछ व्यक्तियों के विरूद्ध उदाहरणात्मक कार्यवाही की जाये।   इसके अतिरिक्त बीमार एवं घायल गोवंश की समुचित चिकित्सा हेतु जनपद मुख्यालय पर एक पशुचिकित्सालय 24 घण्टे क्रियाशील किये जाने एवं उक्त पशुचिकित्सालय में रोटेशन के आधार पर पशुचिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ की तैनाती मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा सुनिश्चित की जायेगी। उक्त चिकित्सालयों को 24 घंटे क्रियाशील किये जाने का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व मुख्य पशुचिकित्साधिकारी सुलतानपुर को होगा। कृपया उक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करायें तथा कृत कार्यवाही से मुख्य पशुचिकित्साधिकारी  के माध्यम से जिलाधिकारी को अवगत करायें, ताकि तदनुसार शासन को अवगत कराया जा सके।

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