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यूपी में 1586 थानों में महिला पुलिसकर्मियों के लिए टॉयलेट


उत्तर प्रदेश के 1586 थानों में पहली बार महिला पुलिसकर्मियों के लिए टॉयलेट बनाया जा रहा है। इस टॉयलेट में इंडियन/वेस्टर्न दोनों तरह के रहेंगे। इसके अलावा वाश बेशन समरसेविल पम्प की सुविधा रहेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह टॉयलेट बनाए जा रहे हैं। सरकार ने 22 फरवरी 2023 के बजट सत्र में महिला कल्याण के तहत 1050 करोड़ का बजट जारी किया था। इस बजट से ही उत्तर प्रदेश पुलिस महिला कर्मियों के लिए यह टॉयलेट बनाए जा रहे है।पुलिस आवास निगम लिमिटेड को महिला टॉयलेट बनाने की प्रक्रिया की जिम्मेदारी मिली है। उत्तर प्रदेश पुलिस आवास निगम लिमिटेड CMD  के अनुसार अगले 3 महीने में प्रदेश के सभी थानों में टॉयलेट बन जाएगा। फर्स्ट फेज में 800 के करीब टॉयलेट बनेंगे। 42 थाने ऐसे जो पुलिस विभाग का न होने पर प्री टॉयलेट बनाया जाएगा। करीब 1200 टॉयलेट होंगे जो कि डबल फेज में बनेंगे। इसमें सोलर लाइट समरसेविल पम्प वॉशबेशन की सुविधा रहेगी। 20 साल पहले साल 2001 में तत्कालीन राजनाथ सिंह सरकार ने 394 थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय बनाए जाने के लिए बजट की मंजूरी दी थी। दो दशक बीत जाने के बाद भी इन 394 में से किसी भी एक थाने में शौचालय निर्माण का काम नहीं हो सका है। सरकारी विभाग ने अब हाईकोर्ट में यह हलफनामा दिया है कि 20 साल पहले मंजूर हुए अलग शौचालयों में से 51 का निर्माण कार्य प्रगति पर है।लगातार हाइटेक हो उत्तर प्रदेश पुलिसिंग और पुलिस फोर्स में महिलाओं की बढ़ती संख्या के बावजूद थानों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस बारे में फौरन जरूरी कदम उठाने को कहा है।हाईकोर्ट इस मामले को लेकर इतना सख्त है कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उसने सरकार से न सिर्फ जल्द से जल्द काम शुरू कराने को कहा है।बल्कि 17 जुलाई को होने वाली सुनवाई में उस एजेंसी का नाम बताने को भी कहा है, जिसे निर्माण का काम सौंपा जाना है। हाईकोर्ट ने इसे लेकर बेहद तल्ख टिप्पणियां भी की हैं। पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया था।दरअसल देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटी और लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई कर रही 12 छात्राओं की टीम ने अपना प्रोजेक्ट वर्क तैयार करते हुए इस समस्या को उठाया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट  के निर्देश पर इंटर्नशिप करते हुए इन छात्राओं ने प्रयागराज शहर के 17 पुलिस थानों का मुआयना किया था। छात्राओं ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि 17 में से सिर्फ पांच थानों में ही महिलाओं के लिए अलग शौचालय हैं। बाकी थानों में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती है। लेकिन उनके लिए अलग शौचालय का कोई इंतजाम नहीं है। वह या तो कॉमन टॉयलेट का इस्तेमाल करती हैं या फिर कहीं दूसरी जगह फ्रेश होती हैं।सीनियर वकील और ह्यूमन राइट्स लीगल नेटवर्क के अध्यक्ष कमल कृष्ण राय की सलाह पर इन छात्राओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका यानी PIL दाखिल की थी। प्रयागराज हाई कोर्ट के डबल बेंच के जटिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस गजेंद्र कुमार की पीठ ने लॉ स्टूडेंट दीक्षा, कुमारी प्रिया, शाल्वी तिवारी, समीक्षा सिंह, विजय कुमार और देवांश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका PIL पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था।

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