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पौष पूर्णिमा का स्नान कल,प्रयागराज में 8 किमी. के दायरे बसा तंबुओं का शहर


लखनऊ माघ मेले के पहले स्नान पर्व में सिर्फ एक दिन बचा है। गुरुवार को श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो चुका है। प्रयागराज में गंगा के घाट भी भक्त के सैलाब के लिए तैयार है। ये मेला 6 जनवरी से पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू हो रहा है। करीब 8 किमी. के दायरे में फैला ये मेला 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ खत्म होगा। इस दौरान देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालु गंगा की रेती पर 40 दिन जप-तप, धर्म और अध्यात्म में लीन रहेंगे।प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती के तट पर हर साल माघ मेला और स्नान का आयोजन किया जाता है। माघ मेला 40 दिन के कल्पवास का होता है। लोग यहां आते हैं, स्नान के साथ 40 दिन सन्यासियों की जिंदगी जीते हैं। सिर्फ भारत से नहीं, विदेशों से भी श्रद्धालु आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए भी यहां कल्पवास करने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि कल्पवास करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।योगी आदित्यनाथ की सरकार इसे 2025 में लगने वाले महाकुंभ के रिहर्सल के तौर पर देख रही है। यही कारण है कि माघ मेले का सरकार ने खूब प्रमोशन किया है। मेलाधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि 6 जनवरी से 18 फरवरी को अंतिम स्नान पर्व तक मेले में इस बार खास तैयारियां की गई हैं।माघ मेलाधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि माघ मेला में पहली बार सरकार की पहल पर यात्रियों की सुविधा के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 500 बेड की डॉरमेट्री तैयार की गई है। डॉरमेट्री महाकुंभ या कुंभ मेले में तैयार कराई जाती है। इसमें कोई भी सामान्य श्रद्धालु ठहर सकता है। इसे फाइव स्टार सुविधाओं से लैस किया गया है। इस बार माघ मेले में देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए महाकुंभ की तर्ज पर अरैल की ओर टेंट सिटी बसाई गई है। यहां श्रद्धालुओं को रुकने के लिए पैसे पेड करने होंगे।मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि पौष पूर्णिमा के प्रथम स्थान पर्व पर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पहले स्नान पर्व पर 14 स्थाई घाट तैयार किए गए हैं। इन स्नान घाटों पर महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम तैयार किया गए हैं। घाटों पर साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था है।

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