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प्रदेश के 7 मेडिकल कॉलेजों में तैयार हो रहा आश्रय पालना स्थल

 


लखनऊ आए दिन कूड़े के ढेर या झाड़ियों में फेंके गए नवजात मिलते हैं। सामाजिक लोक लाज के चलते कुछ महिलाएं अपने नवजात जन्म के तुरंत बाद कूड़े के ढेर में या झाड़ियों में फेंक कर भाग जाती हैं। ऐसे में नवजात जन्म के बाद ही लावारिस हो जाते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। प्रयागराज समेत प्रदेश के सात शहरों के मेडिकल कॉलेजों में पालना गृह  बनाने की तैयारी हो रही है।इस स्थान पर ऐसा पालना रखा जाएगा जो सेंसरयुक्त होगा। इसमें नवजात के रखने के 2 मिनट बाद घंटी बजने लगेगी और यह घंटी अस्पताल के रिसेप्शन से जुड़ा होगा। वहां तुरंत ही नवजात को उठाकर सुरक्षित बाल सुधार गृह भेजा जाएगा। यहां से विधिपूर्ण ढंग से दपंति इस नवजात को गोद ले सकेंगे।जीवन संरक्षण अभियान के संस्थापक संचालक, देवेंद्र जे अग्रवाल की ओर से यह पहली की जा रही है। देवेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि अनचाहे नवजात शिशु विशेष रूप से बेटियां जिन्हें जन्म लेते ही क्रूरता पूर्वक डस्टबिन, कटीली झाड़ियों में फेंक दिया जाता है। जहां से वह अधिकांशतः गलत हाथों में पड़कर भिक्षावृत्ति, वेश्यावृत्ति या अन्य अनैतिक कार्यों में धकेल दिए जाते हैं।इन मासूम नवजात शिशु के जीवन रक्षार्थ, प्रयागराज समेत लखनऊ, गोरखपुर, आगरा, मेरठ, झांसी और कानपुर राजकीय मेडिकल कॉलेजो में आश्रय पालना स्थल के स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई है। इस पालना में नवजात को डालने का नाम पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा, साथ ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं होगी।

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