मॉडलिंग छोड़ बनी 'मॉडल चाय वाली'
लखनऊ देशभर में आज भैया दूज का पर्व मनाया जा रहा है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना के लिए पूजा-अर्चना कर रही हैं। मगर, गोरखपुर शहर में एक ऐसी भी बहन है जिसका मानना है कि साल का हर दिन उसके लिए भाई दूज के समान है।वह बहन है मिस गोरखपुर रह चुकी सिमरन गुप्ता। जोकि अब मिस गोरखपुर के नाम से नहीं, बल्कि मॉडल चाय वाली के नाम से जानी जाती हैं। सिमरन हर दिन 10 रुपए के कप के हिसाब से शाम 7 बजे तक 200 से 250 कप चाय बेच लेती हैं। जिससे महीने के कमाई करीब 75 हजार रुपए हो जाती है। इस पैसे से वह अपने भाई और मां का इलाज कराती हैं।साल 2018 में सिमरन गुप्ता के सिर पर 'मिस गोरखपुर' का ताज सजा। लेकिन दिव्यांग भाई और परिवार के लिए उसने अपने मॉडलिंग में करियर बनाने का सपना छोड़ चाय की दुकान खोल ली। कड़ी मशक्कत के बाद सिमरन ने मॉडल चाय वाली के रूप में अपनी एक नई पहचान बनाई है।शहर के सूरजकूंड कॉलोनी में रहने वाले राजेंद्र गुप्ता प्राइवेट जॉब करते हैं।
उनकी पत्नी अलका गुप्ता हाउस वाइफ हैं। एक बेटा अमन बचपन से ही दिव्यांग है। जबकि बेटी सिमरन को शुरू से ही मॉडलिंग का काफी शौक रहा। शुरू से ही परिवार की फाइनेंशियल हालत कोई खास अच्छी नहीं थी। ऐसे में सिमरन ने बचपन से ही पिता और परिवार का सपोर्ट करने की ठान ली।24 साल की सिमरन ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद वह मॉडलिंग में अपना करियर बनाने में जुट गईं। कई प्रोग्राम में हिस्सा लिया और साल 2018 में उन्होंने 'मिस गोरखपुर' का खिताब जीता।इसके बाद उन्होंने कई बड़े विज्ञापन भी किए। कोरोना संकट में पिता की नौकरी चली गई। इसके बाद वह खुद बिजली विभाग में संविदा पर 5 महीने नौकरी की। मगर, सैलरी नहीं मिली। इससे परिवार पर संकट आने लगा तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी।सिमरन बताती हैं, 'वह चाहती थीं कि मॉडलिंग में ही अपना करियर बनाकर परिवार को सपोर्ट करें। मगर, कंप्टीपन के दौर में इतनी जल्दी मुकाम पाना मुमकिन नहीं लग रहा था। बड़े शहरों के इवेंट्स में हिस्सा लेने के लिए जाना और तमाम तरह की चुनौतियां का सामना करना पड़ा।सिमरन बताती हैं परिवार में अर्निंग का सोर्स पिता की प्राइवेट जॉब के अलावा अन्य कुछ नहीं था। जबकि जिम्मेदारियां काफी अधिक थी। परिवार का खर्च, दिव्यांग भाई और मां का इलाज सहित बाकी चीजों को मैनेज करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसके बाद बिजनेस या स्टार्टअप को शुरू करने के लिए सिमरन के पास कोई फाइनेंशियल सपोर्ट नहीं था, तो सिमरन गुप्ता ‘मॉडल चायवाली’ बनकर सड़क पर उतर आई।सिमरन बताती हैं, "जब मैं बिजली विभाग में नौकरी कर रही थी। लगा कि जिंदगी की गाड़ी और परिवार की आर्थिक स्थिति एक बार फिर पटरी पर आ जाएगी। लेकिन, कई महीनों तक सैलरी नहीं मिलने की वजह से उन्हें जॉब छोड़नी पड़ी। इसके बाद उन्होंने बड़ा फैसला लिया। MBA चायवाला प्रफुल्ल बिलोरे और पटना की ग्रेजुएट चायवाली प्रियंका गुप्ता से प्रेरणा लेकर सिमरन ने भी चाय का स्टाल लगाने का कड़ा फैसला लिया और ‘मॉडल चायवाली’ बन गईं।सिमरन बीते 25 अगस्त से गोरखपुर के सिविल लाइन्स में गोरखपुर विश्वविद्यालय के रानी लक्ष्मीबाई छात्रावास के बाहर दिग्विजयनाथ पीजी कॉलेज के गेट के बगल में ‘मॉडल चायवाली’ के नाम से स्टाल लगा रही है। उनकी खास तरह की मसाला चाय पीने के लिए उनके स्टाल पर सुबह से लेकर दिनभर भीड़ लगती है। वे सुबह 6 बजे आती हैं और शाम 6 से 7 बजे तक चाय बेचती हैं।सिमरन बताती हैं उन्हें लोगों का प्यार और अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। लोग उनकी चाय पीने भी आ रहे हैं। इसके साथ ही उनका उत्साहवर्धन भी कर रहे हैं। महज 10 रुपए में एक कप चाय देने वाली सिमरन हर रोज 200 से 250 कप चाय बेच लेती हैं। वे कहती हैं कि वे ‘मिस गोरखपुर’ रह चुकी हैं। लेकिन उन्हें अफसोस नहीं है।सिमरन गर्व से कहती है।कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता है। हां, इसके साथ ही उन्होंने कुछ विज्ञापन शूट भी करवाया है। सवाल क्या मायानगरी से कोई मॉडलिंग और फिल्म का ऑफर मिलेगा तो जाएंगी? इस पर वे तपाक से कहती हैं कि जरूर जाऊंगी। क्योंकि, इससे वे अपने घर का खर्च चला रही हैं। लेकिन उनका असली करियर तो मॉडलिंग ही है।
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