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सरकार ने कहा जो सक्षम वो करें राशन कार्ड सरेंडर

लखनऊ मुफ्त राशन योजना को लेकर अब राज्य में लोगों के बीच एक उलझन की स्थिति बनी हुई है। बांदा जिले के जिलाधिकारी का एक आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें ये कहा गया है कि जिनके पास मोटरसाइकिल, पक्का घर, कृषि योग्य भूमि, रंगीन टीवी और निश्चित व्यवसाय है वे सरकार की ओर से दी जा रहे मुफ्त राशन के पात्र नहीं हैं।साथ ही उन्होंने आदेश में कहा है कि समस्त कार्ड धारकों को ये निर्देश दिए गए है कि वे 7 दिन के अंदर अपना राशन कार्ड समर्पित कर दें नहीं तो राशन कार्ड के सत्यापन के दौरान अपात्र पाए जाने वाले लोगों से गेहूं 24 रुपये प्रति किलो, चावल 32 रुपये किलो, खाद्य तेल, चना और नमक की वसूली भी बाजार दर के हिसाब से की जाए।इसके बाद लोगों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई साथ ही कई जिलों के गांवों में भी ये संदेश डुगडुगी बजा कर दिया गया। हालांकि अब खाद्य एवं रसद मंत्री सतीश शर्मा ने इस स्थिति को साफ किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार केवल जनता से ये अपील कर रही है कि जो लोग सक्षम हैं और जिन्हें मुफ्त राशन नहीं चाहिए वे मुफ्त राशन सरकार से न लें और अपना राशन कार्ड सरेंडर कर दें। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जिनको जरूरत है उन तक मुफ्त राशन पहुंच सकेगा।वहीं सतीश शर्मा ने कहा कि सरकार ने अपील की है कि जिनके पास चार पहिया वाहन हैं, आरटीआई फाइल करते हैं, 5 एकड़ से ज्यादा जमीन है वे लोग सरकार की ओर से दिए जा रहे मुफ्त राशन को न लें और उन लोगों के लिए इसे छोड़ें जिन्हें इसकी जरूरत है। उन्होंने बताया कि एक बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी सामने आए हैं जो अपना राशन कार्ड सरेंडर कर रहे हैं। वहीं कई हजार लोगों ने नए राशन कार्ड के लिए भी अप्लाई किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जहां तक बात वसूली की है तो अभी सरकार की ओर से सिर्फ आग्रह किया जा रहा है अपील की जा रही है। लोग किसी भी तरह के भ्रम में न रहें। उन्होंने कहा कि ऐसा भ्रम विपक्ष भी न फैलाए।सरकार लोगों से अपील कर रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ जिलों में जिलाधिकारियों की तरफ से गांवों में डुगडुगी बजवा कर ये संदेश दे दिया गया है कि यदि अपात्र मिले तो सामान की बाजार दर के हिसाब से वसूली की जाएगी। इसको लेकर ग्रामीणों के बीच काफी उलझन की स्थिति बन रही है। लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि क्या पहले लिए गए सामान के लिए भी सरकार वसूली करेगी। हालांकि खाद्य मंत्री ने इस बात को पूरी तरह से अब साफ कर दिया है कि सरकार फिलहाल ऐसा कुछ नहीं कर रही है और ये सिर्फ अपील की गई है।

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