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फसलों में कीटों/रोगों से बचाव हेतु किसान अपनाएं निम्न सुझाव


सुलतानपुर जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि जनपद के किसान फसलों में लगने वाले कीटों/रोगों से बचाव हेतु फसल की नियमित निगरानी करें तथा कीट/रोग के लक्षण परिलक्षित होने पर तत्काल निम्नवत् सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाकर फसल की सुरक्षा करें। उन्होंने बताया कि अपने विकास खण्ड के राजकीय कृषि रक्षा इकाई से सम्पर्क कर अपनी समस्या का निदान पायें। कीट/रोग की समस्या के निदान हेतु किसान भाई कृषि विभाग के विशेष मोबाइल नम्बर 9452247111 अथवा 9452257111 पर अपना पंजीकरण नम्बर अथवा नाम/पता लिखते हुए अपनी समस्या एसएमएस या व्हाट्एप पर भेज कर समाधान पायें।   उन्होंने बताया कि वर्तमान में जायद की फसलों, गन्ना आदि में लगने वाले कीट/रोग के नियंत्रण हेतु राजकीय कृषि रक्षा इकाईयों एवं निजी क्षेत्र की दुकानों पर पर्याप्त मात्रा में रसायन उपलब्ध है। वर्तमान फसलों में लगने वाले कीट/रोग हेतु सुझाव गन्ना की फसल को दीमक/अंकुरबोधक कीट से बचाव हेतु क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत या इमिडाक्वलोप्रिड 17.8 प्रतिशत अथवा बिबेरिया वैसियाना से मृदा उपचार करें। अर्ली सूटवोरर बचाव हेतु फिप्रोनिल 0.5 प्रतिशत का प्रयोग करें। टापसूटवोरर के नियंत्रण हेतु कावोफ्यूरान 3 प्रतिशत जी0 अथवा क्लोरन्ट्रानिलीप्रोल का प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि जायद की फसल जैसे- सब्जियों में लगने वाले महीन कीट यथा-ग्रीनफलाइड, थ्रिप्स, एफिड्स आदि के लिये एलो स्टिकीस्ट्रिप को उपयोग में लायें। नीमआयल का साप्ताहिक प्रयोग संस्तुत मात्रा में करते रहे। फल मक्खी के नियंत्रण हेतु फरोमोन ट्रेप का उपयोग करें। उर्द/मंूग में पीला मौजैक रोग के रोकथाम के लिये वाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु डाईमेथोमोएट 30 प्रतिशत ई0सी0 रसायन का समय से छिड़काव करें।

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