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पत्नी ने जेल में बंद बलात्कारी पति की मांगी बेल,मां बनने के लिए


नई दिल्ली उत्तराखंड हाई कोर्ट के सामने ‘पत्नी के अधिकार’ से जुड़ी एक ऐसी गुहार आई है। जिस पर कोर्ट ने सरकार से राय मांगी है। कोर्ट ने न्याय मित्र से कहा है कि दूसरे देशों में इस मामले में क्या स्टैंड लिया जाता है इसकी जानकारी जुटाकर पेश की जाए।यह गुहार उस महिला ने लगाई है जिसका पति नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के एक मामले में 20 साल कैद की सज़ा काट रहा है। इस बलात्कारी की पत्नी ने हाई कोर्ट में कहा है कि वह मातृत्व सुख चाहती है इसलिए उसके पति को कुछ समय के लिए बेल पर छोड़ा जाए।उत्तराखंड हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस कोर्ट ने सरकार और न्याय मित्र से उस मामले में राय देने को कहा है ​जो याचिका हल्द्वानी के सचिन की ओर से दाखिल की गई है।याचिकाकर्ता व तीन साथियों को नैनीताल ज़िला अदालत ने एक नाबालिग बच्ची के साथ ट्रक में सामूहिक बलात्कार के आरोप में 7 साल पहले 20 साल की सजा सुनाई थी। इस बलात्कारी की ज़मानत याचिका पहले भी कोर्ट दो बार खारिज कर चुका है।अब एक नये एंगल से सचिन को ज़मानत दिए जाने की गुहार लगाई गई है।इस याचिका में सचिन की पत्नी की ओर से कहा गया कि जब उसका पति गिरफ्तार हुआ तब उसकी शादी को करीब 3 महीने हुए थे।तब मातृत्व सुख से वंचित रही महिला ने अब मातृत्व सुख के अधिकार पाने के लिए याचिका में कहा कि जेल में बंद उसके पति को शॉट टर्म बेल दी जाए ताकि वह मां बन सके।हालांकि इस ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जो टिप्पणी की है उसमें इस पूरे मामले पर सवाल खड़े किए गए.कोर्ट ने कहा कि जेल में बंद व्यक्ति  उसकी पत्नी और इस तरह की व्यवस्था से पैदा हुए बच्चे के अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी जुटाई जाना चाहिए। देखा जाना चाहिए कि बाद में क्या बच्चा भी अपने कैदी पिता के साथ रहने का अधिकार मांग सकता है।कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या ऐसे बच्चे को दुनिया में लाने की अनुमति दी जाए जिसका पालन पोषण मुश्किल होगा क्योंकि मां अकेली है।साथ ही  पिता के बिना रहने से मनोवैज्ञानिक प्रभाव क्या होगा  कोर्ट ने यह भी सवाल पूछा कि अगर कैदी को संतान पैदा करने की अनुमति दी जाती है तो क्या राज्य को उसकी देखभाल के लिए बाध्य किया जा सकता है।

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