राकेश टिकैट के आंसुओं ने आंदोलन में दोबारा जान फूंक
नई दिल्ली। 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस हिंसा के बाद राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और दर्शन पाल सिंह जैसे बड़े किसान नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. इतना ही नहीं हिंसा के बाद कई किसान संगठनों ने आंदोलन से अपने पैर पीछे खींच लिए. इन सबके बाद लगा की अब किसान आंदोलन धीरे धीरे खत्म हो जाएगा. लेकिन कल गाजिपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के एक भाषण और उनके भावुक से मानो किसान आंदोलन में दोबारा जान फूंक दी हो.प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रहा है. हम तैयार थे शांतिपूर्वक आत्मसमर्पण करने के लिए, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों को पीटने के लिए बीजेपी के स्थानीय विधायकों को बुलाया गया. यह हमारे खिलाफ एक साजिश है. उन्होंने कहा, अगर पुलिस ने हम पर गोलियां भी चलाईं, तो भी मैं आत्मसमर्पण नहीं करूंगा.इस दौरान राकेश टिकैत भावुक हो गए और उनके आंसुओं ने हेडलाइन्स बटौर लीं.भावुक हुए टिकैत ने यह भी कहा कि वह आत्महत्या कर लेंगे, लेकिन वह अब आत्मसमर्पण नहीं करेंगे. हम यहां तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करने आए थे और लेकिन खाली हाथ वापस नहीं जाएंगे. यह देश के किसानों के साथ अन्याय है। तीन कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए और हमारा आंदोलन तब तक चलता रहेगा, जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है. मैं किसानों के हक के लिए लड़ता रहूंगा|राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद गाजिपुर बॉर्डर पर देर रात धीरे-धीरे किसानों की संख्या में इजाफा होने लगा. टिकैत के समर्थन में आसपास के इलाकों से भी लोग आने लगे. हरियाणा के जींद, हिसार, भिवानी और गाजियाबाद से किसानों के लौटने की तस्वीरें आई हैं. सभी किसानों ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी हाल में आंदोलन को कमजोर या खत्म नहीं होने देंगे. बड़ी बात यह है कि इस बॉर्डर पर कल दोपहर बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन देर रात बॉर्डर से अचानक सुरक्षाकर्मियों को हटा लिया गया. दोपहर से ही कयास लगाए जा रहे थे कि बॉर्डर पर कुछ बड़ा होने वाला है, लेकिन अब स्थिति सामान्य नजर आ रही है|
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