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हकीमे उम्मत डाक्टर कल्बे सादिक़ की याद में हुआ ताज़ीयती जलसा


सुलतानपुर।हकीमे उम्मत डा. कल्बे सादिक़ की याद में रविवार को ताज़ीयती जलसे और मजलिसे इसाले सवाब का आयोजन किया गया। शियाने हैदरे कर्रार वेलफेयर एसोसिशन सुल्तानपुर के तत्वाधान में इमाम बारगाह बेगम हुसैन अकबर साहब मरहूम खैराबाद में बड़े पैमाने पर उलेमा, शायर और समाज के लोग उपस्थित हुए।एसोसिशन के जिला मीडिया प्रभारी अज़हर अब्बास ने बताया कि मजलिस में लोगों को संबोधित करते हुए मौलाना कल्बे हसनैन खावर ने कहा कि सादिक़ होना अल्लाह की एक सिफत (क्वालिटी) है। उन्होंने कहा कि इंसान सादिक़ है तो क़ाबिले ऐतबार है। इसलिए इसे अपनाना जरूरी है वरना लोगों के नजदीक ऐतबार नहीं बना सकते।

मौलाना ने कहा कि सादिक़ होने के लिए कौल (जुबान-वाणी) और अमल (कैरेक्टर) होना जरूरी है। लेकिन दोनो हर एक को नहीं मिलती, लेकिन हकीमे उम्मत डाक्टर कल्बे सादिक़ साहब मरहूम में ये दोनो सिफते मौजूद थीं। मौलाना ने कहा कि कल्बे सादिक़ साहब ने इल्म (एजुकेशन) पर फोकस किया था, कौम में इसके लिए हर एक को आगे आना चाहिए। मौलाना ने ये भी कहा कि कल्बे सादिक़ साहब इसलिए इल्म और सच्चाई के करीब थे कि वो इमामे जाफरे सादिक़ के सच्चे फालोवर थे।मस्जिद मीर बंदे हसन खैराबाद के पेश नमाज मौलाना असकरी खान ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हर आदमी हर मौके पर बोलने के लिए तैयार है उसको ये मालूम ही नहीं है कब बोलना है और क्या बोलना है। मौलाना ने कहा कि कल्बे सादिक़ साहब कहा करते थे के हमारा और आपका दुश्मन ना हिंदू है ना मुसलमान बल्कि हमारी और आपकी दुश्मन जेहालात है। इसी क्रम में मौलाना सिब्तैन खान साहब ने तकरीर करते हुए कहा कि सब एकजुट रहें तो मजबूत लश्कर की सूरत में होंगे, तोड़ेंगे तो तन्हा रह जाएंगे। वहीं कार्यक्रम में महफूज सुल्तानपुरी, आलम सुल्तानपुरी, नजर सुल्तानपुरी ने अपने शेर पेश किए। जबकि कार्यक्रम का संचालन अमन सुल्तानपुरी ने किया।

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