ब्रेकिंग न्यूज

दुर्गा प्रतिमाओं की निकली विसर्जन शोभायात्रा; भक्तों ने कहा अगले बरस फिर आना मां, डीएम-एसपी ने हरी झंडी दिखाकर विसर्जन शोभायात्रा को किया रवाना


सुलतानपुर जिले मे कोलकाता के बाद देशभर में दूसरा स्थान रखने वाले सुलतानपुर के ऐतिहासिक दुर्गापूजा महोत्सव का बुधवार रात समापन हुआ। पांच दिनों तक चले महोत्सव के बाद 20 अक्टूबर की रात दुर्गा प्रतिमाओं की विसर्जन शोभायात्रा निकाली गई। शहर के चौक ठठेरी बाजार स्थित बड़ी दुर्गा को जिलाधिकारी रवीश गुप्ता व पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन कुमार मिश्र ने पूजा अर्चन कर विसर्जन शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाई।

ऐतिहासिक दुर्गा पूजा महोत्सव संपन्न के मौके पर केंद्रीय पूजा समिति व सर्राफा व्यापारियों द्वारा हनुमान जी की आरती का आयोजन किया गया। डीएम रवीश गुप्ता व एसपी डॉ. विपिन कुमार मिश्र द्वारा हनुमान जी की पूजा-अर्चना के साथ आरती कर विसर्जन शोभायात्रा रथ को स्वयं अपने हाथों से डीएम व एसपी ने रस्सा खीचकर विसर्जन हेतु रवाना किया।इन अधिकारियों ने दुर्गा पूजा विसर्जन की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा भी लिया।

डीएम और एसपी ने सीता कुण्ड घाट पर दुर्गा प्रतिमा विसर्जन स्थल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओ का भी जायजा लिया। दुर्गा प्रतिमा विसर्जन ड्यूटी में लगे अधिकारियों, कर्मचारियों, एसडीआरएफ टीम, महिला थाना प्रभारी तथा अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये।बता दें कि 15 अक्टूबर को सुलतानपुर में रावण का पुतला दहन करके दुर्गापूजा महोत्सव की शुरुआत हुई थी। जिले में दुर्गापूजा का शुभारंभ 1959 में ठठेरी बाजार में भिखारीलाल सोनी व उनके सहयोगियों ने शुरू किया था। यहां से शुरू हुआ दुर्गापूजा का सिलसिला समय के साथ ही बढ़ता ही गया। दूसरी मूर्ति की स्थापना रुहट्ठा गली में बंगाली प्रसाद सोनी ने 1961 में कराई। 1970 में दो प्रतिमाएं और जुड़ीं। इसके अगले वर्ष कालीचरन ने श्री संतोषी माता और राजेंद्र प्रसाद (रज्जन सेठ) ने मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना कराई। 1973 में श्री अष्टभुजी माता, श्री अंबे माता, श्री गायत्री माता, श्री अन्नपूर्णा माता की स्थापना के साथ ही दुर्गापूजा महोत्सव में तब्दील हो गया। विसर्जन शोभायात्रा आज बृहस्पतिवार  रात तक चलेगा।

कोई टिप्पणी नहीं