आरक्षण का गणित सेट करने में जुटे ग्राम प्रधान प्रत्याशी
सुलतानपुर।पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट के साथ अपनी सीट पर आरक्षण की चिंता ‘प्रधान जी’ लोगों को गांव से जिले तक खींच ला रही है। पिछले एक महीने से कहीं पूर्व तो कहीं मौजूदा प्रधान आरक्षण का गणित सेट करने के लिए ब्लाक से लेकर जिले में भटक रहे हैं।कोई महिला सीट चाहता है ताकि पत्नी को लड़ा सके। कोई खास आरक्षण के लिए नेताओं से लेकर बाबुओं तक चक्कर काट रहा है ताकि विपक्षी का पत्ता कट जाए।बल्दीराय ब्लाक में 65 ग्राम पंचायतें है।ब्लाक के दो ग्राम प्रधानों से बात करने पर उन्होंने कहा कि उनके लिए पंचायत की राजनीति का यह आखिरी चुनाव साबित हो सकता है। पता नहीं इसके बाद के चुनाव में उनकी ग्राम पंचायत रहे कि नगरपालिका क्षेत्र में चली जाए।इसलिए चुनाव लड़ना और जीतना उनके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है।एक लोकगीत है ‘जब नौकरी न मिले जवानी में तो कूद पड़ौ परधानी में’।आजकल गांव-गांव ऐसे ही गीत बज रहे हैं। इस बार प्रधानी के लिए कई गांवों में युवा भी अपनी जमीन तलाश रहे हैं।गांव से लेकर शहर तक पंचायत चुनावों को लेकर चर्चाएं गर्म हैं।चाय की गुमटियों से बाजारों तक राजनीति की गोटियां सेट हो रही हैं।बल्दीराय ब्लाक यह ग्राम पंचायतें हैं जो अभी तक पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित नहीं हुई है।जिसमें इसौली,बीही निदूरा,नन्दरई,उमरा,काकर कोला,तिरहुत,पिपरी,रामपुर बबुआन,उस्कामऊ,जरईकला,तोधिकपुर,फत्तेपुर,हलियापुर,रैंचा,डीह,सिंघनी,नरसडा,दौनो व नंदौली ग्राम पंचायत आज तक पिछड़ी जाति के लिये आरक्षित नहीं हुई है।ये वो ग्राम पंचायतें है जो कभी भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं हुई है।जिसमे अरवल,अशरफपुर,चककारी भीट,मोहम्मदपुर काजी,सुखबड़ेरी, सरायबग्घा,मऊ, वलीपुर,सादुल्लापुर, अलियाबाद,नन्दौली,पारा गनापुर,विरधौरा,नटौली सोनबरसा,गोविंदपुर व दौनों ग्राम पंचायत शामिल हैं।
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