ब्रेकिंग न्यूज

मधुमक्खी पालन से होने वाली आय से थाने-चौकियों के रख रखाव की एक महत्वाकांक्षी योजना


सुलतानपुर। जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने थाना कुड़वार में  मधुमक्खी पालन के 25 डिब्बों के समूह का उद्धघाटन किया । पुलिस अधीक्षक डॉ0 अरविन्द चतुर्वेदी ने मधु मिशन के अन्तर्गत 2 थानों क्रमश: कुडवार और धम्मौर पर 25-25 मधुमक्खी के डिब्बे रखवाकर मधुमक्खी पालन से होने वाली आय से थाने-चौकियों के रख रखाव की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है, जिसकी आज शुरुआत हुई। पुलिस विभाग में जनपद स्तर पर प्राइवेट फण्ड बनाए जाने की व्यवस्था है, जिससे प्राप्त धनराशि पुलिस लाइन्स/थानों के फुटकर कार्यों/पुलिस विभाग के कर्मचारियों एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए व्यय की जाती है। बैण्ड फण्ड (जिन जनपदों/वाहनियों में बैण्ड उपलब्ध है), आटा चक्की फण्ड, पी0सी0ओ0 फण्ड, आर0ओ0 प्लांट फण्ड, कैंटीन फण्ड आदि प्रचलित फण्ड हैं।

इसका लाभांश स्थापित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए कर्मचारियों एवं उनके परिवार की सुख सुविधाओं में व्यय किया जाता है। पुलिस मुख्यालय द्वारा प्राइवेट फण्ड के रखरखाव हेतु नियम/निर्देश दिनांक 01.08.11 में एक गार्डन फण्ड भी है, जिसमें फलदार वृक्षों में फलों के विक्रय से, पुलिस भूमि पर की जाने वाली खेती से अथवा पुलिस भूमि के किसी व्यवसायिक उपयोग से होने वाली आय को अर्जित कर इस प्राइवेट फण्ड में जमा किया जा सकता है। इसका उपयोग थाने के कर्मियों एवं उनके परिवारों के कल्याण हेतु एवं थानों/चौकियों के सामान्य रख रखाव हेतु ही किया जाएगा। इस अभियान को मधु-मिशन योजना कहा  जाएगा।इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक डॉ0 अरविन्द चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में बताया कि बाराबंकी में मधुमक्खीवाला नाम से विख्यात युवा उद्यमी  निमित सिंह के साथ विमर्श करके उन्होने सुलतानपुर में मधु-मिशन की योजना बनाई है । उल्लेखनीय है कि मधुमक्खी के इन डिब्बों से शहद के अतिरिक्त तीन अलग-अलग बाई-प्रोडक्ट भी प्राप्त होते हैं, जिनमें बीजवैक्स, पोलन (मधुमक्खियों के पैर में लगा फूलों का पराग जो बहुत अधिक प्रोटीन युक्त होता है), परपोलिस (पेड़ के प्राकृतिक गोंद को मधुमक्खियां अपने डिब्बों के छिद्रों को सील करने के लिए लाती हैं, जो बहुत इम्युनिटी वर्धक होता है)।  डॉ0 चतुर्वेदी ने बताया कि पुलिस लाइन्स/थानों पर पाली जाने वाली मधुमक्खियां एपिस मेलिफेरा (APIS MELLIFERA) नामक प्रजाति की हैं, जो पहली बार भारत में 1994 में कांगड़ा, हिमांचल प्रदेश में यूरोप से लायी गयी थीं, उसके बाद पंजाब एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी में इसके प्रजनन का शोध हुआ और धीरे-धीरे पूरे उत्तर भारत के मधुमक्खी पालकों ने इन्हें रखना शुरू किया। यह भी रोचक तथ्य है कि यह मधुमक्खियां अपने 45 दिन के अल्प जीवनकाल में तीन प्रमुख कार्य करती हैं। पहला, पांच दिन की मधुमक्खी नर्स-मधुमक्खी के रूप में डिब्बों में उपस्थित लार्वा को फीड कराती है। दूसरा,  अगले दस दिन तक मधुमक्खी डिब्बों के आस-पास चौकीदारी का काम करती है। तीसरा, पन्द्रह दिन की मधुमक्खी फ्रोजेन (FROZEN) के रूप में अपने डिब्बों से लगभग 5 किलोमीटर की परिधि से भोजन, नेक्टर तथा पोलन लाने का काम करती है। मधुमक्खी के पेट में दो भाग होते हैं, एक में वह स्वयं जीवित रहने के लिए खाना रखती है और दूसरे हनी स्टमक में नेक्टर रखती है, जिसे फ्रक्टोज, शुक्रोज और ग्लूकोज में विभाजित कर शहद तैयार करती है और अपने डिब्बे के ऊपरी भाग में शहद जमा करती है। जिलाधिकारी  रवीश गुप्ता ने जनपद पुलिस के पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह भी राजस्व एवं विकास विभाग के परिसर में मधुमक्खी पालन पर विचार करेगे । निमित सिंह ने पुलिस अधीक्षक सुलतानपुर द्वारा मधुमक्खी पालन कराकर थाना/चौकियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की पहल की सराहना करते हुए इसे एक महत्वाकांक्षी योजना बताया। उन्होंने बताया कि वह  पिछले 6 वर्षो से मधुमक्खी पालन से जुड़े रहे हैं और इससे होने वाले लाभों से परिचित हैं।

इस अवसर पर जनपद के क्षेत्राधिकारी नगर  सतीश शुक्ला एवं थानाध्यक्ष  अरविन्द पाण्डेय तहसीलदार सदर क्षेत्रीय लेखपाल क्षेत्र के संभ्रांत लोग  उपस्थित रहे ।   



कोई टिप्पणी नहीं