कोरोना ने मानव मे संदेह की दीवार खड़ी की- प्रो सीताराम सिंह
मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि कोरेना के समय मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, उत्तर प्रदेश सरकार श्रमिको को साधनों द्वारा घर पहुचा रही है इसमें कोई भेदभाव नही किया जा रहा। तीन महीनों तक निशुल्क गेंहू चावल उपलब्ध कराया जा रहा है । पेंशन अग्रिम दी जा रही है। इस सेमिनार से बुद्धजीवियों के विमर्श से जो निष्कर्ष निकलेगा वो समाज सरकार को दिशा देगा। राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय ईटानगर के कुलपति ने प्रोफेसर साकेत कुशवाहा ने उगते सूरज की धरती से नमन करते हुए कहा कि कोरेना मानव के लिये संघर्ष लेकर आया है और दुनिया का कोई व्यक्ति संघर्षहींन नही हो सकता। भगवान राम को भी संघर्ष करना पड़ा। हमे आगे बढ़ने का रास्ता खुद तय करना होगा।
डॉ आर ए वर्मा ने कोरेना से बचाव के चिकित्सीय दृष्टकोण पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा बीमारी से डरे बीमार से नही, बीमार का सामाजिक बहिष्कार न करें। महाविद्यालय के के प्रबंधक ओम प्रकाश पाण्डेय ने कोरेना से बचाव हेतु सावधानी पर जोर दिया और आयोजन हेतु समाजशास्त्र विभाग को धन्यवाद दिया। प्राचार्य डॉ अरुण मिश्रा ने कहा कि कोरेना से आयी चुनातियों से हमे सावधानी से निपटकर आगे बढ़ना होगा, उन्होंने इस वेबिनार से जुड़े लोगों को धन्यवाद दिया और प्रासंगिक विषय पर सेमिनार आयोजन हेतु समन्वयक की प्रसंसा की। प्रो रमाशंकर त्रिपाठी ने इस वेबिनार के विषय की गंभीरता और अन्वेषण के उद्देश्यों का गहनतम उल्लेख किया। प्रो परवेज अब्बासी ने कोरेना संकट के सामाजिक पहलुओं की चर्चा करते हुये कहा कि साधनविहीन लोग इस संकट से उबर नही कोरेना संकट इक्कसवीं शताब्दी में सामाजिक बदलाव हेतु मार्ग सुझाएगा। राणा प्रताप पीजी कालेज बीएड विभाग के संतोष कुमार सिंह 'अंश' ने कहा कि वायरस एक तार है जो आप सबको जोड़ता है तोड़ता नही है जाति धर्म वर्ग का इससे कोई नाता नही इसलिये हम सबको भी सामाजिक उत्तरदायित्व से बचना नहीं चाहिए और मानव धर्म का निर्वहन करना चाहिये। कोरेना ने पूरी दुनिया को एक ऐसे अनदेखे अनजाने समुद्र में फेंक दिया हैं जिससे सुरक्षित बाहर निकलने के लिये हम सभी को तैराकी की कला सीखनी होगी। इस वायरस ने विकसित और विकासशील दोनों देशों की कमजोर और अपर्याप्त जन स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल कर रख दी है, ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा नदी के तेज बहाव को पार करते हुए हमें उसके तल पर पत्थरों से मिलने वाली चोट का अंदाजा नहीं होता । हम सब इस समय इस तेज बहाव वाली नदी से जिंदा बच निकलने का रास्ता ही खोज रहे है। हम सबको इस समय लोगो की जिंदगियां बचाने संवारने के लिये आगे आना चाहिए, हम सबको अपनी अपनी जिम्मेदारियों के साथ समाज राष्ट्र एवं विश्व और मानव कल्याण के लिये उठ खड़ा होना चाहिए। अन्य मुख्य वक्ताओं में प्रो. मो सलीम , प्रो. प्रमोद चौधरी, प्रो. बी बी मलिक डॉ पारसनाथ मौर्य,नीलम टंडन,डॉ सौरभ कुमार,गार्गी पाठक,डॉ कुमुद सिंह,बाल गोविंद, अवनीश पटेल,रितेश कुमार थे। धन्यवाद ज्ञापन विभाग के डॉ शक्ति सिंह, डॉ मनोज कुमार मिश्रा, डॉ शिखा श्रीवास्तव ने किया।प्रथम चरण में उदघाटन के अतिरिक्त सेमिनार के तीन सत्रों का समापन हुवा। वेबिनार का दूसरा चरण कल सुबह दस बजे से पुनः जूम क्लाउड , युट्यूब पर एक साथ प्रसारित होगा जिसमें देश के ख्यातिलब्ध विद्वान और शोधार्थी जुड़ेंगे।
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