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DM ने बेटी का आंगनबाड़ी में कराया दाखिला

लखनऊ। अक्‍सर यह सुनने में आता है कि अभिभावक सरकारी स्‍कूल में अपने बच्‍चों को नहीं पढ़ाना चाहते। ऐसी ही सोच को बदलने और लोगों में सरकारी स्‍कूल के प्रति विश्‍वास बढ़ाने की खातिर मध्‍य प्रदेश के कटनी के जिलाधिकारी डॉ. पंकज जैन अपनी 15 माह की बेटी पंखुड़ी को आंगनबाड़ी में पढ़ने के लिए भेजते हैं। जिलाधिकारी डॉ. पंकज जैन ने फोन पर बताया, ''आंगनबाड़ी एक प्‍ले स्‍कूल की तरह होता है। मेरी बेटी बहुत छोटी है तो उसका दाखिला वहां कराया है। जब मैंने देखा कि आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका में आत्‍मविश्‍वास है तो मैं भी अपनी बेटी को वहां भेजने लगा। मेरी बेटी भी खुश रह रही है।'
जिलाधिकारी डॉ. पंकज जैन अपनी बेटी के साथ। डॉ. पंकज जैन कहते हैं, ''आंगनबाड़ी की स्‍थ‍िति में बहुत सुधार हुआ है। हम अपील करते हैं कि अन्‍य लोग भी आंगनबाड़ी में अपने बच्‍चों को भेजें, लेकिन जब तक हम आंगनबाड़ी को उस हिसाब का नहीं बनाएंगे लोग नहीं भेजेंगे, सिर्फ अपील से काम नहीं बनेगा।'' पंकज जैन बताते हैं, जिस आंगनबाड़ी में उनकी बेटी पढ़ने जाती है उसके आस पास की 4-5 आंगनबाड़ी में स्‍थ‍िति बेहतर हुई है। इसके अलावा हम बाकी आंगनबाड़ी को भी सुधारने में लगे हैं। इस लिए अगली बार हम 53 आंगनबाड़ी को देख रहे हैं, जिनमें सुधार करना है। पंकज जैन कहते हैं, ''जब हम सबमें आत्‍मविश्‍वास जगा पाएंगे तभी लोगों से उनके बच्‍चों को भेजने की अपील भी कर सकते हैं और लोग भेजेंगे भी। क्‍योंकि कोई भी अभिभावक जब अपने बच्‍चे को भेजता है तो बाकी सब छोड़कर बच्‍चे के लिए बेस्‍ट देखता है। सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है कि हम स्‍कूल में काम करने वाले लोगों को मोटिवेट करें, यह हम लोग कर रहे हैं।'' जिलाधिकारी की इस पहल को मध्‍य प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी सराहा है। उन्होंने पत्र लिखकर कहा है, ''लोक सेवक समाज में प्रेरणा के केंद्र होते हैं, उनके आचरण का समाज पालन करता है। कर्तव्यों के प्रति आपकी सहजता ने मुझे अत्यधिक प्रभावित किया है, आपके इस प्रयास से शासकीय सेवकों का दायित्व बोध बढ़ेगा।'' बता दें यह कोई पहली बार नहीं जब किसी आईएएस अधिकारी ने अपने बच्‍चे का दाखिला सरकारी स्‍कूल में कराया हो। इससे पहले भी कई लोग ऐसी मिसाल पेश करते रहे हैं। हाल ही में उत्‍तराखंड के चमोली जिले की जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया ने अपने दो साल के बेटे का दाखिला आंगनबाड़ी केंद्र में कराया था। गोपेश्वर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में जिलाधिकारी का बेटा अभ्युदय इलाके के दूसरे बच्‍चों के साथ पढ़ाई करता था। जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया के मुताबिक, ''उन्‍होंने ये फैसला इसलिए लिया ताकि आंगनबाड़ी को लेकर आम लोगों की सोच में बदलाव आ सके। इससे पहले 2009 बैच के आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण ने भी अपनी बेटी वेदिका का एडमिशन छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में ही एक सरकारी स्कूल में कराया था। उन्होंने वेदिका को आंगनबाड़ी भी भेजा था। उनका कहना है कि हमें सरकारी संस्थाओं में यकीन करना चाहिए तभी उनकी हालत सुधर सकती है

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