साइबर अपराधियों ने पुलिस बनकर किया डिजिटल अरेस्ट फिर जज बनकर दी जमानत
साइबर अपराधियों ने नकली थाने से लेकर अदालत का दृश्य दिखाकर ऑडिट विभाग के सेवानिवृत कर्मचारी से 200000 रुपये ठग लिए। पहले वीडियो काॅल कर साइबर ठग ने क्राइम ब्रांच मुंबई का इंस्पेक्टर बनकर डिजिटल अरेस्ट दिखाया और फिर अदालत का दृश्य दिखाकर जज बनकर 2 लाख 10 हजार में जमानत दे दी।दहशत में आए पीड़ित ने एक फर्म के खाते में 2 लाख 10 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। ऑडिट विभाग से सेवानिवृत्त कंवरपाल धीमान ने दर्ज कराए मुकदमे में बताया है कि 23 फरवरी की शाम पांच बजे उनके मोबाइल पर वीडियो काॅल आई। कॉल रिसीव की तो सामने एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी पहने हुए बैठा था।उसने अपना नाम अमित लाठा बताया और पीड़ित से कहा कि वह साइबर क्राइम थाना नवी मुंबई से बोल रहा है। मुंबई में किसी प्रशांत गोयल ने 247 फर्जी बैंक खाते खोले हैं। इन खातों की सूची में 198 क्रमांक पर उनके नाम का खाता है। इन खातों के माध्यम से मनी लांड्रिंग जैसा अपराध हुआ है और आपको हिरासत में लिया जाता है।यह सुनकर कंवरपाल धीमान के पैरों तले जमीन खिसक गई। साइबर ठगों के जाल में फंसे कंवर पाल ने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी। पीड़ित के मुताबिक अगले दिन फिर वीडियो काॅल आई। इस बार साइबर ठगों ने कोर्ट का दृश्य दिखाया।कुर्सी पर बैठे व्यक्ति ने खुद को जज बताते हुए पीड़ित से कहा कि पुलिस ने आपकी आयु और बीमारी के आधार पर आपकी जमानत मांगी है। इसलिए 2 लाख 10 हजार की जमानत धनराशि पर जमानत मंजूर की जाती है। साथ ही बताया गया कि जमानत धनराशि आरएम कम्युनिकेशन मकाखली ग्राउंड फ्लोर सिरसी, शिमोगा हरवेरी कर्नाटक के खाता में जमा करानी है।पीड़ित ने साइबर ठग द्वारा बताए गए खाते में 2 लाख 10 हजार ट्रांसफर कर दिए। ठगी का अहसास होने पर पीड़ित ने साइबर क्राइम हेल्प नंबर पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई।पीड़ित ने बताया कि ठगी के लिए साइबर ठगों ने 62 घंटे तक उनका मोबाइल हैक रखा था। सिविल लाइंस थाना प्रभारी आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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