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गायत्री प्रजापति के परिवार पर अखिलेश यादव का बढ़ता विश्वास,सुल्तानपुर में MLC के लिए पूर्व मंत्री की पुत्र वधू को बनाया उम्मीदवार


सुलतानपुर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का विश्वास जेल में निरुद्ध पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के परिवार पर बढ़ता जा रहा है। विधानसभा चुनाव में अमेठी सीट से उन्होंने गायत्री की पत्नी महाराजी को टिकट दिया और उन्होंने जीत दर्ज कराई। अब जब विधान परिषद का चुनाव होने जा रहा है तो पार्टी ने सुल्तानपुर से उनकी पुत्र वधू को प्रत्याशी बनाया है। दिग्गज सपाईयों को मात देते हुए जिस तरह गायत्री परिवार ने पहले विधानसभा और अब विधान परिषद का टिकट हासिल किया इससे साफ है कि गायत्री प्रजापति के परिवार का कद सपा प्रमुख के सामने बढ़ गया है। उसकी एक वजह गायत्री की पत्नी महाराजी की अमेठी से जीत भी है। इसलिए की उन्होंने पूरे विरोध के बावजूद अमेठी में पूर्व केंद्रीय मंत्री को पराजित कर जीत दर्ज कराई है। यही कारण है अब जब सुल्तानपुर-अमेठी से MLC चुनाव का टिकट देना हुआ तो सपा ने गायत्री प्रजापति के पुत्र अनिल प्रजापति की पत्नी शिल्पा प्रजापति को दिया है। अनिल प्रजापति करोड़ों के मालिक हैं।

उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार उनके पास दो करोड़ 28 लाख 39 हजार 591 रुपये हैं।उल्लेखनीय रहे कि अमेठी से तीन किमी दूर परसावां गांव से एक मिट्टी के कुल्हड़ और बर्तन बनाने वाले सुकई राम के घर 16 जुलाई 1963 के दिन गायत्री का जन्म हुआ। गायत्री को मुलायम सिंह यादव के रूप में अपना राजनीतिक गॉडफादर मिल गए। दरअस्ल 90 के दशक से गायत्री प्रजापतियों समेत तमाम पिछड़ी जातियों का झंडा उठाए घूमने लगे। और साल 1993 में विधानसभा चुनाव लड़ गए चुनाव चिह्न बाल्टी मिली थी। गायत्री को 1526 वोट मिले थे। इसके बाद उनकी मुलाकात इटावा के रहने वाले दयाराम प्रजापति से हो गई। सपा से दो बार एमएलसी और मुलायम सिंह के खास दयाराम ने गायत्री की मुलाकात मुलायम सिंह से करवाई। मुलाकात रंग लाई मुलायम वैसे भी प्रदेश में ऐसे पिछड़ी जातियों के लड़कों को ढूंढ रहे थे। 1996 में गायत्री को समाजवादी पार्टी से टिकट दिया वो एक बार फिर अमेठी विधानसभा से लड़े लेकिन फिर हार गए। लेकिन इस बार पिछली बार की तरह नहीं बल्कि उन्हें 25,112 वोट मिले। वो तीसरे नंबर पर रहे। चुनाव कांग्रेस के राम हर्ष सिंह जीते। 36,069 वोट मिला। 2002 के चुनाव में गायत्री को एक बार फिर से मुलायम सिंह का आशीर्वाद मिला। इस बार टिकट मिलने का विरोध भी हुआ इस पर मुलायम सिंह अमेठी पहुंचे और कार्यकर्ताओं से साफ कह दिया कि गायत्री हमारे लड़के जैसा हैं उसको जिताओ। अब नेताजी की कार्यकर्ताओं ने भले सुन ली हो जनता ने नहीं सुनी। गायत्री लगातार तीसरी बार चुनाव हार गए। 21764 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। चुनाव रानी अमिता सिंह ने जीता बीजेपी से उनको 55949 वोट मिले। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के आशीष शुक्ला रहे उन्हें 37184 वोट मिले। लेकिन अगले ही चुनाव 2007 में गायत्री का टिकट कट गया। टिकट राजेश अग्रहरि को मिला वो भी बुरी तरह हारे। अमिता सिंह विधायक बनी। 2012 के चुनाव से पहले 2011 में आगरा में समाजवादी पार्टी का अधिवेशन चल रहा था। रामगोपाल यादव घोषणा करते हैं कि अमेठी के गायत्री प्रसाद प्रजापति ने पार्टी को 25 लाख रुपये डोनेट किए हैं। गायत्री लपक कर मंच पर पहुंचे और मुलायम सिंह के पैर छू लिया। मई में गायत्री का टिकट फाइनल हो गया और गायत्री ने 2012 में इतिहास रच दिया। दो बार की विधायक अमिता सिंह को चुनाव में उन्होंने हरा दिया। गायत्री प्रसाद को 58,390 वोट मिले तो कांग्रेस से अमिता सिंह को 49638 वोट। 2013 में मंत्रीमंडल विस्तार करते हुए सीएम अखिलेश यादव ने गायत्री को सिंचाई विभाग में राज्य मंत्री बना दिया। सिंचाई विभाग के कैबिनेट मिनिस्टर थे खुद शिवपाल यादव हालांकि अखिलेश गायत्री को लेकर इतने खुश नहीं थे. गायत्री को समझ आ गया कुछ और करना पड़ेगा। गायत्री ने इसके बाद मुलायम की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता और उनके पुत्र प्रतीक की परिक्रमा करनी शुरू की। इसका 2013 के जुलाई महीने में फायदा मिला जब गायत्री को खनन विभाग मिल गया। फिर वो इसी डिपार्टमेंट के पहले स्वतंत्र प्रभार और 2014 में कैबिनेट मिनिस्टर बन गए। गायत्री शायद इकलौते मंत्री होंगे जिनका एक ही मंत्रालय में तीन बार प्रमोशन हुआ। इसी बीच गायत्री को मुलायम ने एक सम्मेलन करवाने का काम सौंपा। 17 अति पिछड़ी जातियों का सम्मेलन इसमें प्रजापति जाति भी थी गायत्री 1993 से इसका झंडा उठाए थे। गायत्री ने इस सम्मेलन को मेगा इवेंट बना दिया था। इस सफल कार्यक्रम ने गायत्री का जलवा कायम हो गया। और 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने गायत्री को स्टार प्रचारक बना दिया। उधर जब गायत्री पर खनन विभाग में अनिमियताओं को लेकर सीबीआई जांच के आदेश तो अखिलेश ने इस पर कार्रवाई करते हुए उन्हें कैबिनेट मिनिस्टर के पद से हटा दिया। उसी वक्त यादव परिवार का झगड़ा सामने आया। बर्खास्तगी पर मुलायम नाराज हुए तो इसी दबाव के कारण अखिलेश ने गायत्री प्रजापति को दोबारा मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया था।इसी बीच 18 फरवरी 2017 को जब विधानसभा चुनाव सिर पर था तभी गायत्री प्रजापति व उसके छह साथियों के खिलाफ लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में रिपोर्ट लिखाई गई। यह रिपोर्ट चित्रकूट की एक पीड़िता की तहरीर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लिखी गई थी। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि गायत्री के सरकारी आवास पर नशीला पदार्थ चाय में मिलाकर बेहोश करके उसके साथ रेप किया गया था।इसका असर हुआ 27 फरवरी को अमेठी में अपना वोट डालने के बाद से गायत्री फरार हो गए। 2017 का परिणाम आया तो बीजेपी से गरिमा सिंह 63912 वोट पाकर जीती और गायत्री को 58941 वोट मिले। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई अब गायत्री को इसी मामले में उम्रकैद की सजा हुई है।काफी जद्दोजहद के बाद पति गायत्री के लिए इंसाफ मांगने स्वंय उनकी पत्नी महाराजी चुनावी मैदान में उतरी। अमेठी विधान सभा में उन्होंने बेटियों के साथ घूम घूम कर वोट मांगे। जमकर आंसू बहाए 10 मार्च को रिजल्ट आया तो पता चला आंसू रायगा नहीं गए। अमेठी की जनता ने जहां महाराजी को 87242 वोट दिए वही भाजपा प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह को 59515 वोट ही मिले। इस तरह महाराजी ने यह चुनाव 17727 वोटों से जीत लिया। जबकि कांग्रेस के आशीष शुक्ला को महज 13967 वोट से ही संतोष करना पड़ा। अब जब सुल्तानपुर-अमेठी सीट पर विधान परिषद का चुनाव है तो सपा ने गायत्री की ग्रेज्युएट पुत्र वधू शिल्पा को मैदान में उतारा है। शिल्पा का मायका प्रतापगढ़ जिले में है।

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