क्षेत्र के किसानों के लिए बनी अभिशाप दलहन की खेती
सुलतानपुर।जिले के कुड़वार क्षेत्र में जहां एक समय में आपको हर जगह खेतों में अरहर की खेती दिखाई देती थी। परन्तु आज के वर्तमान समय में अरहर की खेती करना एक सपने जैसा दिखाई दे रही है। क्षेत्र के भण्ड़रा,प्रतापपुर,सोहगौली,नेउरा,उतमानपुर, भगवानपुर,निरसहिया,नौगवां समेत लगभग सभी जगह काफी मात्रा में अरहर की खेती की जाती थी।
स्थानीय कुड़वार ब्लाक में भण्ड़रा ग्रामसभा के पूरे रामदयाल दूबे गांव निवासी सुरेश नाथ दूबे (केएनआई डिग्री कॉलेज में पूर्व शिक्षक)बताते है किसान भाइयों को अरहर जैसी दलहनी फसलों की खेती नहीं कर पाने की मुख्य दिक्कत वनरोज जिसे (नीलगाय) के नाम से जाना जाता है और छुट्टा जानवरों के नुकसान करने के कारण लोग अरहर की खेती नहीं कर रहे हैं। पूरे कालू पाठक गांव निवासी किसान आनन्द प्रकाश मिश्रा कहते हैं पहले सिंचाई की व्यवस्था समुचित नहीं होने से कुड़वार व आस-पास के क्षेत्रों में दलहनी अरहर की खेती प्रमुख रूप से की जाती थी। लेकिन अब अरहर की खेती करना किसानों के लिए एक चुनौती से कम नहीं है।इस समय ज्यादातर मजदूर से लेकर खेतिहर तक बाजारों से ही दाल खरीदने को मजबूर हैं।कुछ किसान अरहर की खेती किए हुए हैं उन लोगों को ध्यान देने की जरूरत है कि इस समय अरहर की फसल में अरहर का पत्ती लपेटक कीट लग रहा है।
तिरछे गांव निवासी विजय मिश्रा, बताते हैं इसके चलते दलहन का दाम आसमान छू रहा है। लोग 100 से लेकर 150 तक दाल खरीद रहे हैं। चना,मटर सब नीलगाय व छुट्टा मवेशियों के चलते खेतों से गायब हो रहा है। किसान अब गेहूं और धान पर आश्रित हो रहा है। गेहूं व धान में लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं